
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol Blended Petrol) को लेकर जारी विवाद के बीच, बायोफ्यूल उद्योग से जुड़ी एक संस्था ने सरकार से पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा बढ़ाने और फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों (Flex-Fuel Vehicles) को तेजी से अपनाने की अपील की है. हाल के दिनों में कुछ वाहन मालिकों ने शिकायत की थी कि 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) से गाड़ियों की माइलेज कम हो रहा है और रखरखाव का खर्च बढ़ गया है. लेकिन, ग्रेन इथेनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (GEMA) ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि भारत को अब उच्च ब्लेंडिंग स्तर (Higher Blending Level) की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटे और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन (Net Zero Emission) के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिले.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, GEMA ने कहा कि भारत ने 2025 तक 20 प्रतिशत ब्लेंडिंग का लक्ष्य हासिल कर लिया है, अब इसे और आगे बढ़ाना चाहिए. संगठन ने उदाहरण दिया कि ब्राजील में पेट्रोल में 27 प्रतिशत तक इथेनॉल मिलाया जाता है (E27) और देश ने फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों के जरिए पेट्रोल की खपत में 55 प्रतिशत तक कमी लाई है. भारत को भी इसी दिशा में सोचना चाहिए.
GEMA के अध्यक्ष सी.के. जैन ने कहा कि ऐसे इंजन जरूरी हैं, जो अलग-अलग अनुपात में इथेनॉल और पेट्रोल पर चल सकें. इससे न केवल प्रदूषण घटेगा बल्कि पेट्रोल पर निर्भरता भी कम होगी. उन्होंने कहा कि फिलहाल 25-30 प्रतिशत तक ब्लेंडिंग तुरंत संभव नहीं है, लेकिन 20 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से 1-2 प्रतिशत और बढ़ाने की संभावना है. यह कदम फिलहाल अनाज-आधारित इथेनॉल उद्योग को राहत दे सकता है.
जैन ने कहा कि उद्योग ने पहले से ही निवेश कर रखा है और वितरण ढांचे को मजबूत करने के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए सरकार की स्पष्ट नीति और मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय जरूरी है. उन्होंने कहा कि अधिक ब्लेंडिंग से कार्बन उत्सर्जन में कमी, तेल आयात बिल में घटोतरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा मिलेगा. गन्ना, मक्का और अतिरिक्त चावल जैसे फसलों की मांग बढ़ेगी, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी.
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल से माइलेज घटने के आरोपों पर सरकार ने कहा है कि ये दावे भ्रामक हैं. वाहन की माइलेज पर कई कारक असर डालते हैं. जैसे- ड्राइविंग स्टाइल, मेंटेनेंस, टायर प्रेशर और एसी लोड. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि E20 के अनुकूल वाहन 2009 से ही बाजार में आ चुके हैं, इसलिए इन वाहनों में माइलेज की समस्या नहीं है.
हालांकि, सरकार ने यह स्वीकार किया कि अब इथेनॉल की औसत कीमत पेट्रोल से अधिक हो गई है. 2020-21 तक इथेनॉल सस्ता था, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. फिर भी, GEMA का कहना है कि अगर नीति स्पष्ट रही तो यह क्षेत्र न केवल पर्यावरण बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद साबित होगा.