वित्त वर्ष 2026 के बीच में ही सरकार की खाद्य सब्सिडी खर्च बजट अनुमान से करीब 22,000 करोड़ रुपये अधिक होने की संभावना है. इसका मुख्य कारण है भारतीय खाद्य निगम (FCI) के जरिये बड़ी मात्रा में अनाज का भंडारण और MSP पर खरीद. सरकार हर साल बड़ी मात्रा में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अनाज खरीदती है. जैसे अभी धान, बाजरा आदि का सीजन शुरू होने वाला है.
खाद्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, बजट में 2.03 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी तय की गई थी, लेकिन संशोधित अनुमान के अनुसार यह 2.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना यानी PMGKAY योजना के तहत हर महीने गरीबों को 5 किलो मुफ्त अनाज देने की योजना 2028 तक जारी रहेगी, जिससे सब्सिडी पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. इस योजना में चावल और गेहूं का वितरण होता है.
वर्तमान में, FCI के पास 700 लाख टन से अधिक अनाज है – जिसमें 370 लाख टन चावल और 337 लाख टन गेहूं है, जबकि जरूरत केवल 308 लाख टन की है.
वित्त वर्ष 26 में अब तक वित्त मंत्रालय से 57,678 करोड़ रुपये या अपने वार्षिक खाद्य सब्सिडी आवंटन का 40 परसेंट प्राप्त करने के बावजूद, एफसीआई को चालू वित्त वर्ष में 37,560 करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ा है.
FCI के अनुसार, चावल और गेहूं के लिए आर्थिक लागत बढ़कर:
सरकार 760 लाख टन अनाज की खरीद कर रही है, जबकि जरूरत 560-580 लाख टन की है. यह सरप्लस स्टॉक भविष्य में अनाज की खुली बिक्री (Open Market Sale) के माध्यम से निपटाया जा सकता है.
सूत्रों ने 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' को बताया कि इस साल खुले बाजार में बिक्री पिछले वित्तीय वर्ष की 4.63 मीट्रिक टन की रिकॉर्ड बिक्री को पार कर जाने की संभावना है.
एफसीआई के स्टॉक से 2025-26 में अब तक 4.19 मीट्रिक टन से अधिक चावल को खुले बाजार में बिक्री के साथ-साथ इथेनॉल बनाने के लिए आपूर्ति और राज्य की विशेष योजनाओं सहित अलग-अलग पहलों के माध्यम से रियायती दरों पर बेचा जा चुका है.