क्या आपने कभी सोचा या सुना है कि मछलियां भी उड़ सकती हैं? सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन ये बिल्कुल सच है. उड़ने वाली मछली को अंग्रेजी में Flying Fish कहा जाता है. यह खास मछली अटलांटिक और प्रशांत महासागर में पाई जाती है और इन दिनों इंटरनेट और सोशल मीडिया पर इसकी काफी चर्चा हो रही है. अब सवाल उठता है कि मछली को उड़ने की ज़रूरत क्यों पड़ती है? दरअसल, उड़ने वाली मछली का उड़ना उसका एक तरह का बचाव उपाय (defense mechanism) है. जब कोई बड़ी शिकारी मछली फ्लाइंग फिश का पीछा करती है, तो यह मछली पानी के अंदर बहुत तेज़ी से तैरने लगती है. इसका शरीर पनडुब्बी की तरह बना होता है, जिससे यह पानी में काफी तेजी से भाग सकती है.
फ्लाइंग फिश के पास खास तरह के पेक्टोरल पंख (pectoral fins) होते हैं, जो आम मछलियों से बड़े होते हैं. जब यह मछली पानी की सतह के पास पहुंचती है, तो यह अपने पंख फैलाकर हवा में ग्लाइड करना शुरू कर देती है.
यह मछली एक बार में करीब 200 मीटर से 400 तक उड़ सकती है और इसकी उड़ने की स्पीड 56 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है. यह किसी चमत्कार से कम नहीं लगता.
जैसा कि हमने पहले बताया, यह मछली अपने से बड़ी मछलियों जैसे ट्यूना या डॉल्फिन से बचने के लिए उड़ती है. पानी में तेजी से तैरने और हवा में ग्लाइड करने की यह खासियत इसे कुछ हद तक सुरक्षित बना देती है.
नहीं, उड़कर भी यह मछली पूरी तरह सुरक्षित नहीं रहती. समुद्र के शिकारी से तो यह बच जाती है, लेकिन जब यह हवा में होती है, तब उड़ने वाले पक्षी जैसे सीगल्स और अल्बाट्रॉस इसे पकड़कर खा सकते हैं. यानी, इसे हर जगह खतरा बना रहता है.
फ्लाइंग फिश न केवल वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय है, बल्कि समुद्री जीवन में इसकी खास भूमिका भी है. इसकी अनोखी उड़ान तकनीक से कई वैज्ञानिक प्रेरित हुए हैं, खासकर एयरोडायनामिक्स के क्षेत्र में. इसके अलावा, कुछ देशों में यह मछली खाने में भी इस्तेमाल की जाती है. फ्लाइंग फिश समुद्र की एक ऐसी मछली है, जो अपने अनोखे गुणों के कारण दुनियाभर में मशहूर हो रही है. इसकी उड़ान न सिर्फ अद्भुत है, बल्कि यह दिखाती है कि प्रकृति में जीव किस तरह खुद को बचाने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं.