स्वामीनाथन आयोग वाली MSP लागू न होने से क‍िसानों को क‍ितना बड़ा नुकसान, ये रही ड‍िटेल 

स्वामीनाथन आयोग वाली MSP लागू न होने से क‍िसानों को क‍ितना बड़ा नुकसान, ये रही ड‍िटेल 

Farmers Protest: क‍िसान संगठनों का कहना है क‍ि अभी सरकार जो ए-2 प्लस एफएल फार्मूले के आधार पर एमएसपी घोष‍ित कर रही है, उसे भी म‍िलने की गारंटी नहीं है. ऐसे में क‍िसान संगठन एमएसपी को लेकर दो महत्वपूर्ण मांग कर रहे हैं. पहली मांग सी-2 फार्मूले के आधार पर दाम तय करने की है. दूसरी मांग उसकी लीगल गारंटी देने की है, ताक‍ि सरकार और न‍िजी क्षेत्र दोनों एमएसपी से कम कीमत पर कृष‍ि उपज की खरीद न कर पाएं. 

एमएसपी को लेकर यूं ही आंदोलन नहीं कर रहे हैं क‍िसान. एमएसपी को लेकर यूं ही आंदोलन नहीं कर रहे हैं क‍िसान.
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Jan 09, 2025,
  • Updated Jan 09, 2025, 6:38 PM IST

क‍िसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार लगातार यह दावा कर रही है क‍ि वो लागत पर 50 फीसदी का मुनाफा जोड़कर कृष‍ि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय कर रही है. यही नहीं पहले के मुकाबले एमएसपी पर फसलों की ज्यादा खरीद का दावा भी क‍िया जा रहा है. लेक‍िन, लागत क‍िस आधार पर तय हो रही है, सरकार यह नहीं बता रही है. स्वामीनाथन आयोग ने सी-2 (Comprehensive Cost) यानी संपूर्ण लागत पर 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर एमएसपी देने की स‍िफार‍िश की थी, लेक‍िन अभी जो एमएसपी म‍िल रही है वो इस लागत के आधार पर नहीं तय की गई है. अगर कृष‍ि उपज की सी-2 लागत पर 50 फीसदी लाभ जोड़कर क‍िसानों को एमएसपी म‍िलने लगे तो उनकी आय बढ़ जाएगी, क्योंक‍ि उन्हें कृष‍ि उपज का ज्यादा दाम म‍िलना शुरू हो जाएगा. क‍िस कृष‍ि उपज पर क‍ितना अध‍िक पैसा म‍िलेगा, आज आपको इसका पूरा ब्योरा म‍िलेगा.

खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान का मौजूदा एमएसपी 2300 रुपये प्रति क्विंटल है. लेक‍िन अगर इसे सी2+50 वाले फार्मूले से तय क‍िया जाए तो क‍िसानों को 3012 रुपये प्रति क्विंटल म‍िलेगा. यानी अभी क‍िसानों को 712 रुपये प्रति क्विंटल कम म‍िल रहे हैं. संयुक्त क‍िसान मोर्चा (एसकेएम) ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से लोगों को गुमराह करना बंद करने और एमएसपी पर श्वेत पत्र के माध्यम से ए2+एफएल+50% और सी2+50% एमएसपी के बीच अंतर को सामने लाने की मांग की है. 

क‍ितना घाटा सह रहे हैं क‍िसान 

एसकेएम ने कहा है क‍ि भारत में धान की औसत उत्पादकता 2390 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मानी जाती है. इसलिए सी-2 फार्मूले से एमएसपी न म‍िलने के कारण धान की खेती करने वाले क‍िसानों को प्रत‍ि हेक्टेयर 17,016 रुपये का नुकसान हो रहा है. क‍िसानों के इस नुकसान के बावजूद सरकार डॉ. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग की सी2+50% की दर से एमएसपी की सिफारिश को मंजूरी देने के ल‍िए तैयार नहीं है. यही नहीं, सांसद चरनजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण (2024-25) पर संसदीय स्थायी समिति की पहली रिपोर्ट (अठारहवीं लोकसभा) में की गई सिफारिश भी सरकार को मंजूर नहीं है.

सिफारिश में "समिति ने पाया कि भारत में कृषि सुधार और किसानों के कल्याण के बारे में बातचीत में एमएसपी का कार्यान्वयन एक केंद्र बिंदु बना हुआ है. समिति का मानना है कि देश में एक मजबूत और कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी को लागू करना वित्तीय स्थिरता, बाजार की अस्थिरता से सुरक्षा और ऋण के बोझ को कम करके भारत में किसान आत्महत्याओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. 

क‍िसानों को क‍ितना नुकसान  

  • धान की वर्तमान एमएसपी 2,300 रुपये प्रत‍ि क्विंटल. सी-2 वाली एमएसपी 3,012 रुपये प्रत‍ि क्विंटल होगी. यानी क‍िसानों को प्रत‍ि क्व‍िंटल 712 रुपये का नुकसान हो रहा है. 
  • ज्वार का एमएसपी 3,371 रुपये प्रत‍ि क्विंटल है. जबक‍ि सी-2 वाली एमएसपी 4,437 रुपये प्रत‍ि क्विंटल होगी. इस तरह क‍िसानों को 1,066 रुपये प्रत‍ि क्विंटल का घाटा हो रहा है. 
  • बाजरा का वर्तमान एमएसपी 2625 रुपये प्रत‍ि क्विंटल है. अगर सी-2 फार्मूले से एमएसपी लागू हो तो क‍िसानों को 2,904 रुपये का सरकारी भाव म‍िलेगा. इस तरह अभी बाजरा पर 279 रुपये प्रत‍ि क्विंटल का नुकसान हो रहा है. 
  • मक्का का वर्तमान एमएसपी 2,225 रुपये प्रत‍ि क्विंटल है. सी-2 वाली एमएसपी 2,795 रुपये प्रत‍ि क्विंटल होगी. ऐसे में क‍िसानों को 570 रुपये प्रत‍ि क्विंटल का नुकसान हो रहा है. 
  • रागी का वर्तमान एमएसपी 4,290 रुपये प्रत‍ि क्विंटल है. अगर सी-2 फार्मूला लागू हो तो एमएसपी 5,198 रुपये प्रत‍ि क्विंटल हो जाएगी. इस तरह इस समय 908 रुपये प्रत‍ि क्विंटल का नुकसान हो रहा है. 
  • अरहर का वर्तमान एमएसपी 7550 रुपये प्रत‍ि क्विंटल है. जबक‍ि सी-2 फार्मूले वाली एमएसपी 9,756 रुपये प्रत‍ि क्विंटल हो जाएगी. इस तरह क‍िसानों को अरहर के मामले में 2,206 रुपये प्रत‍ि क्विंटल की आर्थ‍िक चोट लग रही है. 
  • मूंग का वर्तमान एमएसपी 8,682 रुपये प्रत‍ि क्विंटल है. अगर सी-2 एमएसपी लागू हो तो दाम 10,956 रुपये प्रत‍ि क्विंटल होगा. इस तर‍ह मूंग क‍िसानों को 2,274 रुपये प्रत‍ि क्विंटल का नुकसान हो रहा है. 
  • उड़द का वर्तमान एमएसपी 7,400 रुपये प्रत‍ि क्विंटल है. अगर सी-2 फार्मूला लागू हो तो दाम 9744 रुपये प्रत‍ि क्विंटल होगा. इस तरह उड़द के मामले में क‍िसानों को 2,344 रुपये प्रत‍ि क्विंटल का नुकसान है. 
  • मूंगफली का एमएसपी वर्तमान में सरकार ने 6,783 रुपये प्रत‍ि क्विंटल तय क‍िया हुआ है. जबक‍ि सी-2 फार्मूले के आधार पर यह 8,496 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल होगी. इस तरह मूंगफली क‍िसानों को 1,713 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल का नुकसान हो रहा है. 
  • सोयाबीन का वर्तमान एमएसपी 4,892 रुपये प्रत‍ि क्विंटल है. अगर सी-2 वाली एमएसपी लागू हो तो सरकारी दाम 6437 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल हो जाएगा. इस तरह सोयाबीन क‍िसानों को प्रत‍ि क्व‍िंटल 1545 रुपये कम म‍िल रहे हैं. 
  • वर्तमान में सूरजमुखी की एमएसपी 7,280 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तय है. जबक‍ि सी-2 लागत के आधार पर एमएसपी 9,891 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल होनी चाह‍िए. इस तरह सूरजमुखी पर 2,611 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल का नुकसान हो रहा है. 
  • तिल का एमएसपी वर्तमान में 9,267 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है. जबक‍ि सी-2 लागत के आधार पर एमएसपी 12,228 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल होनी चाह‍िए. ऐसे में त‍िल के मामले में 2,961 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल का नुकसान हो रहा है. 
  • नाइजरसीड का वर्तमान में एमएसपी 8,717 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है. जबक‍ि सी-2 एमएसपी 11,013 रुपये होगी. ऐसे में क‍िसानों को 2,296 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल का संस्थागत घाटा हो रहा है. 
  • कपास का वर्तमान एमएसपी 7,121 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है. जबक‍ि सी-2 लागत के आधार पर एमएसपी 9,345 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल होगी. इस तरह कपास क‍िसानों को 2,224 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल का घाटा हो रहा है. 

प्रमुख रबी फसलों में नुकसान 

फसलवर्तमान एमएसपी  सी-2 वाली एमएसपी क‍िसानों का नुकसान
गेहूं2275 2478203
जौ18502421 571
चना54406820.51380.5
सरसों56506102452
   *रुपये/क्व‍िंटल/2024-25

एमएसपी पर दो मांग 

यह नुकसान तो सी-2 फार्मूले के आधार पर एमएसपी न घोष‍ित करने से है. कड़वा सच तो यह है क‍ि अभी सरकार जो ए-2 प्लस एफएल फार्मूले के आधार पर एमएसपी घोष‍ित कर रही है, उसे भी म‍िलने की गारंटी नहीं है. ऐसे में क‍िसान संगठन एमएसपी को लेकर दो महत्वपूर्ण मांग कर रहे हैं. पहली मांग सी-2 फार्मूले के आधार पर दाम तय करने की है. दूसरी मांग उसकी लीगल गारंटी देने की है, ताक‍ि सरकार और न‍िजी क्षेत्र दोनों एमएसपी से कम कीमत पर कृष‍ि उपज की खरीद न कर पाएं. सरकार समर्थक अर्थशास्त्री एमएसपी की लीगल गारंटी को इकोनॉमी के ल‍िए घातक बता रहे हैं. जबक‍ि क‍िसान संगठन उनसे पूछ रहे हैं क‍ि क‍िसानों के पास ज्यादा पैसा आ जाएगा तो वो इकोनॉमी के ल‍िए खतरा कैसे बन जाएगा?  

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