इस साल भारतीय मॉनसून को प्रभावित करने के लिए अल नीनो का आना लगभग निश्चित है. लेकिन एक सकारात्मक हिंद महासागर डिपोल के विकास से अल नीनो प्रभाव को कम होने की उम्मीदें भी जग रही हैं. दरअसल, हिंद महासागर डिपोल अल-नीनो के समान ही महासागर-वायुमंडल के बीच संबंधों की एक घटना है. जो पश्चिमी हिंद महासागर और पूर्वी हिंद महासागर (इंडोनेशियाई तट का दक्षिण भाग) के समुद्र सतह के तापमान में अंतर के कारण उत्पन्न होता है. यह अल नीनो की तुलना में बहुत कमजोर प्रणाली है. इसलिए इसका प्रभाव सीमित है. इसके बावजूद एक सकारात्मक आईओडी में पड़ोसी क्षेत्रों में अल नीनो के प्रभाव को कुछ हद तक कम करने की क्षमता होती है. इसने अतीत में (1997) कम से कम एक बार इस क्षमता पर सराहनीय ढंग से काम किया है.
सकारात्मक आईओडी के दौरान मॉनसून की बारिश पर सकारात्मक और नकारात्मक आईओडी के दौरान मॉनसून की वर्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. अल नीनो इस वर्ष पहले से ही प्रशांत महासागर में मजबूती से स्थापित हो चुका है लेकिन आईओडी अभी भी तटस्थ चरण में है. इस समय सभी अंतरराष्ट्रीय जलवायु मॉडल बता रहे हैं कि आने वाले महीनों में एक सकारात्मक आईओडी घटना विकसित हो सकती है. ऑस्ट्रेलिया के मौसम विज्ञान ब्यूरो ने आईओडी पर अपने नवीनतम अपडेट में इसका उल्लेख किया है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भी इस महीने की शुरुआत में अपने बुलेटिन में कहा था कि आने वाले महीनों में सकारात्मक आईओडी की 80 फीसदी संभावना है.
बुलेटिन में कहा गया है कि जून से अगस्त 2023 के बीच सकारात्मक आईओडी स्थितियों के लिए लगभग 80 फीसदी संभावना है. जबकि तटस्थ आईओडी का अनुमान 15 फीसदी है. आईओडी को कभी-कभी भारतीय नीनो भी कहा जाता है. यह एक ऐसी ही घटना है, जो पूर्व में इंडोनेशियाई और मलेशियाई तटरेखा और पश्चिम में सोमालिया के पास अफ्रीकी तटरेखा के बीच हिंद महासागर के अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र में होती है. भूमध्य रेखा के साथ समुद्र का एक किनारा दूसरे की तुलना में गर्म हो जाता है. आईओडी को सकारात्मक तब कहा जाता है जब हिंद महासागर का पश्चिमी भाग, सोमालिया तट के पास, पूर्वी हिंद महासागर की तुलना में गर्म हो जाता है.
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जब पश्चिमी हिंद महासागर ठंडा होता है तो यह नकारात्मक होता है. एक सकारात्मक आईओडी घटना को अक्सर अल नीनो के समय विकसित होते देखा जाता है, जबकि एक नकारात्मक आईओडी कभी-कभी ला नीना के साथ जुड़ा होता है. मौसम विज्ञानियों के अनुसार वर्ष 1997 और 2006 में सकारात्मक आईओडी की स्थिति देखी गई थी, दोनों ही वर्षों में भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वर्षा सामान्य से अधिक देखी गई थी. जहां तक वर्तमान साल की बात है तो सकारात्मक आईओडी को अभी तक मौसम वैज्ञानिक भारत में इस वर्ष की अप्रत्याशित वर्षा के लिए एक संभावना मान रहे हैं.
हालांकि, यह भी सत्य बात है कि वास्तव में भारतीय मॉनसून की बारिश पर आईओडी के प्रभाव को पूरी तरह से समझा ही नहीं गया है. ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो के मुताबिक साल 1960 के बाद से अब तक सिर्फ 10 बार सकारात्मक आईओडी की घटना हुई है. इनमें से चार वर्ष ऐसे थे जब मॉनसूनी बारिश में कमी थी, चार साल ऐसे थे जिसमें बारिश में वृद्धि थी और बाकी दो वर्षों में सामान्य बारिश का ट्रेंड देखा गया था.