क्रॉपलाइफ इंडिया, जो कि भारत की प्रमुख कृषि रसायन कंपनियों का संगठन है, उसने अपने 45वें सालाना बैठक (AGM) में नई नेतृत्व टीम का ऐलान किया. अंकुर अग्रवाल, जो क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, उन्हें एक बार फिर चेयरमैन चुना गया है. मोहन बाबू, जो बायर क्रॉपसाइंस (भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हैं, उन्हें लगातार दूसरे साल वाइस चेयरमैन बनाया गया है. साथ ही, डॉ. ज्ञानेंद्र शुक्ला, जो रेलीस इंडिया लिमिटेड के एमडी और सीईओ हैं, को सेकंड वाइस चेयरमैन चुना गया है.
अंकुर अग्रवाल ने बताया कि भारत आज दुनिया में चौथा सबसे बड़ा कृषि रसायन उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है. क्रॉपलाइफ इंडिया की सदस्य कंपनियां भारत के कृषि रसायन कारोबार का 70% से ज्यादा हिस्सा संभालती हैं और दुनियाभर की 95% नई तकनीकों को भारत में लाने का काम करती हैं.
आज भी भारत में कीटों और बीमारियों की वजह से हर साल करीब 2 लाख करोड़ रुपये की फसलें खराब हो जाती हैं. भारत में किसान बहुत कम कीटनाशकों का उपयोग करते हैं- केवल 400 ग्राम प्रति हेक्टेयर, जबकि दुनिया का औसत 8,000 ग्राम है. इससे साफ है कि हमारे किसान बहुत समझदारी और जिम्मेदारी से काम करते हैं.
अग्रवाल ने कहा कि अगर हम नए तरीके अपनाएं, जैसे इनोवेशन, बेहतर खेती के तरीके और कीटों पर सही नियंत्रण, तो हम किसानों की आमदनी बढ़ा सकते हैं और भारत को एक मजबूत कृषि अर्थव्यवस्था बना सकते हैं. यह आत्मनिर्भर और विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.
क्रॉपलाइफ इंडिया के महासचिव दुर्गेश चंद्र ने कहा कि संगठन किसानों को सुरक्षित और आधुनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल के बारे में जागरूक करेगा. हमारा मकसद है कि किसान फसल की सुरक्षा करें और पर्यावरण का भी ध्यान रखें.
क्रॉपलाइफ इंडिया की कंपनियां 2030 तक करीब 88,000 करोड़ रुपये सटीक कृषि तकनीकों में और 35,000 करोड़ रुपये जैविक कीटनाशकों के विकास में निवेश करेंगी. इसका उद्देश्य है कि खेती को और अधिक टिकाऊ, सुरक्षित और फायदेमंद बनाया जाए.
क्रॉपलाइफ इंडिया का यह नया नेतृत्व भारत की खेती में बड़ा बदलाव लाने के लिए तैयार है. संगठन का लक्ष्य है-किसानों को नई तकनीक देना, फसल की रक्षा करना, और भारत को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना.
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