केंद्र सरकार ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की कैंटीन से सामान खरीद पर लगने वाली जीएसटी में 50 फीसदी छूट को मंजूरी दे दी है. पूर्व अर्धसैनिक बलों की वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा कि गृह मंत्रालय के फैसले से केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (KPKB) या केंद्रीय पुलिस वेलफेयर स्टोर से घरेलू सामान, ग्रॉसरी, कपड़े समेत कई अन्य तरह के सामान खरीदना सस्ता हो जाएगा. इससे सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी के जवान या उनके परिवारों को लाभ मिलेगा. यह आदेश 1 अप्रैल से लागू होगा.
केंद्र सरकार ने केंद्रीय पुलिस कैंटीन के देशव्यापी नेटवर्क से सामान खरीदने पर सीएपीएफ कर्मियों के लिए 50 प्रतिशत जीएसटी सहायता को मंजूरी दे दी है. पूर्व अर्धसैनिक बलों की वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (केपीकेबी) या केंद्रीय पुलिस वेलफेयर स्टोर के लिए आए आदेश का स्वागत किया है. केपीकेबी देश के विभिन्न राज्यों में स्थित 1,700 से अधिक कैंटीन की चेन चलाता है.
गृह मंत्रालय के तहत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) में सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी शामिल हैं. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इन सशस्त्र पुलिस बलों के जवान या उनके परिवार केपीकेबी की इन कैंटीनों से 50 फीसदी जीएसटी छूट के साथ सामान की खरीदारी कर पाएंगे. इसके अलावा केंद्रीय पुलिस संगठन बीपीआरडी और एनसीआरबी से जुड़ कर्मचारी और उनके परिवार भी कैंटीन से छूट के साथ सामान खरीद सकेंगे. बता दें कि इन बलों के कर्मियों को देश और विदेश में विभिन्न प्रकार की सुरक्षा जिम्मेदारियां निभाने का काम सौंपा जाता है.
पूर्व अर्धसैनिक बलों की एसोसिएशन के महासचिव रनबीर सिंह ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताया है. कहा कि 20 लाख सेवारत और सेवानिवृत्त अर्धसैनिक कर्मियों और उनके परिवारों के लिए सरकार की ओर से यह होली उपहार है. एसोसिएशन ने कहा कि कैंटीन से खरीदी जाने वाली वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में 50 प्रतिशत की सहायता अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत से यानी 1 अप्रैल से लागू की जाएगी.
केंद्रीय पुलिस कैंटीन केंद्रीय सशस्त्र बलों से सेवानिवृत्त कर्मियों के अलावा इन बलों के लगभग 10 लाख कर्मियों के परिवार के करीब 50 लाख सदस्यों को विभिन्न प्रकार के घरेलू उत्पाद, किराने का सामान, कपड़े और वाहन समेत अन्य वस्तुओं की बिक्री करती है. केंद्रीय पुलिस कैंटीन इस बिक्री से अनुमानित सालाना 2,800 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करती हैं.