अप्रैल में ही प्रचंड गर्मी ने असर दिखना शुरू कर दिया है. अप्रैल में ही देश के कई राज्यों में लू कहर बरपा रही है तो वहीं अभी आने वाले महीनों में लू और गर्मी का प्रचंड रूप दिखना बाकी है. मतलब साफ है कि गर्मी ने आदम जात का तेल निकाला हुआ है और आने वाले दिनों में ये गर्मी आदम जात का अधिक तेल निकालेगी. कुछ ये ही हाल गर्मियों में मवेशियों समेत अन्य जानवरों के भी होते हैं. आज की बात मवेशी यानी गाय और भैंस पर गर्मी के असर की करते हैं. गर्मी से गाय-भैंस के दूध में गिरावट होती है. ऐसे में कई डेयरी किसान मवेशियों को इंजेक्शन लगा कर दूध बढ़ाते हैं. आइए इसी कड़ी में जानते हैं कि गर्मी में मवेशियाें के दूध में गिरावट क्यों होती है. इंजेक्शन लगा कर गाय-भैंस के दूध में बढ़ोतरी से कितना नफा होता है कितना नुकसान होता है.
हर साल गर्मियों में गाय-भैंस के दूध में कमी आती है. इससे देश में दूध संंकट गहरा जाता है और डेयरी किसानों को नुकसान होता है. ऐसे में कई डेयरी किसान इंजेक्शन से दूध में बढ़ोतरी करने की कोशिश करते हैं. इससे कितना नफा-नुकसान होता है. इस पर विस्तार से बात करने से पहले जान लेते हैं कि गर्मी में गाय-भैंस के दूध में क्यों और कितनी कमी आती है. इसको लेकर हमने आचार्य नरेंद्र देव कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वेटरनरी विशेषज्ञ डाॅ राजपाल दिवाकर से बातचीत की. डॉ राजपाल दिवाकर ने बताया कि गर्मी की वजह से गाय-भैंस के दूध में सामान्य दिनों की तुलना में 15 से 20 फीसदी तक गिरावट हो सकती है.
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गर्मी की वजह से गाय-भैंस के दूध में क्यों गिरावट होती है. इसको लेकर डॉ राजपाल दिवाकर बताते हैं कि मवेशियाें के लिए 37 डिग्री तापमान सबसे बेहतर होता है. तापमान में बढ़ोतरी होने की वजह से मवेशियों को हीट स्ट्रोक तक हो जाता है. इस वजह से मवेशियों की मौत तक हो जाती है. ऐसे में मवेशी अपने शरीर के तापमान को कम करने के लिए खुद ही प्रयास करते हैं. वह हांफ कर अपने शरीर के तापमान को मेंटेन करने की कोशिश करते हैं. इससे उनकी धड़कन बढ़ जाती है. उनके शरीर के अंगों को अतिरिक्त काम करना पड़ता है. इससे वह कंफर्ट जोन में नहीं रह पाते हैं और इस कारण से उनके दूध देने की क्षमता प्रभावित होती है. मसलन, दूध में गिरावट आती है.
दूध बढ़ाने के लिए मवेशियों को ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन दिया जाता है. इस इंक्जेशन के कर्मशियल प्रयोग पर प्रतिबंध है. यानी सरकार ने ऑक्सीटोसिन पर बैन लगाया हुआ है, लेकिन अभी भी देश के कई जगहों पर दूध बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन का इंंजेक्शन दिया जाता है. इससे पशुओं को होने वाले नफा-नुकसान की जानकारी देते हुए आचार्य नरेंद्र देव कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वेटरनरी विशेषज्ञ डाॅ राजपाल दिवाकर बताते हैं ऑक्सीटोसिन एक हार्मोन है, जिसे बढ़ाने के लिए ये इंजेक्शन दिया जाता है. इससे मवेशियों को होने वाले नुकसान के बारे में डॉ दिवाकर बताते हैं कि इससे मवेशियों को कई नुकसान होते हैं.
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मसलन, जिन मवेशियों को ये दिया जा रहा है, वह जल्दी हीट में नहीं आएगा. ऐसे मवेशियाें की बच्चेदानी में बदलाव हो सकता है. दूध की ग्रंथी में बदलाव हो सकता है. डाॅ दिवाकर बताते हैं कि मवेशियों के खून से ही दूध बनता है. ऐसे में इंजेक्शन से दूध मवेशियों को कमजोर कर देती है. इसी तरह ज्यादा इंजेक्शन देने से ऑक्सीटोसिन दूध में उतर आता है दूध का सेवन करने वाले लाेगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं वह बताते हैं कि इंजेक्शन से उसी दूध में बढ़ोतरी हाेती है, जिसे गर्मी के चलते मवेशी अपनी दूध ग्रंथी में छिपा लेते हैं.
गर्मी के मौसम में मवेशियों का दूध कैसे बढ़ाया जाए, इसकी जानकारी देते हुए आचार्य नरेंद्र देव कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वेटरनरी विशेषज्ञ डाॅ राजपाल दिवाकर कहते हैं कि मवेशियों के लिए 37 डिग्री तक का तापमान सबसे बढ़िया होता है. ऐसे में जरूरी है कि गर्मी बढ़ने पर मवेशियों के लिए ये तापमान बनाया रखा जा सके. इसके लिए डेयरी किसान गड्डे खोद कर उसमें पानी भर सकते हैं, जिसमें मवेशी जाकर अपने शरीर को ठंडा रख सकते हैं. इसी तरह मवेशियों के शरीर में मिट्टी-पानी का लेप, समय-समय पर स्प्रिंंकलर से पानी का छिड़काव करना चाहिए. इससे मवेशियों के शरीर का तापमान स्थिर रहेगा और दूध में गिरावट नहीं होगी.