भारत की दालों पर बेहाली किसी से छिपी नहीं है. दुनिया में नंबर 1 दाल उत्पादक होने के बाद भी भारत दालों का सबसे बड़ा इंपोर्टर है. मसलन, भारत दालों के मामले में बेहाल है और दालों से जुड़ी अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत काे कुछ दालें विदेशों से मंंगानी पड़ती हैं.
इंपोर्टेट दालों की इस सूची में अरहर, उड़द और मसूर प्रमुखता से शामिल है, जिसमें भारत का सबसे अधिक गणित अरहर ने बिगाड़ा हुआ है. मांग और आपूर्ति के बीच बड़े फर्क ने अरहर दाल के दामों को नई ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया है. फुटकर बाजारों में मौजूदा समय में अरहर के औसतन दाम 200 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं.
इस बीच केंद्र सरकार ने दालों में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके लिए 2027 तक का समय निर्धारित किया गया है. इसके लिए केंद्र सरकार किसानों से अपील करती रहती है. इसके अनुरूप देश के किसानों ने अपना दम दिखाया है.
आलम ये है कि इस साल घर-घर अरहर के नारे के साथ बंपर अरहर उत्पादन होने की संभावना है, जो दालों में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते भारत के कदमों की तरफ इशारा कर रहा है. इस साल क्यों रिकॉर्ड अरहर उत्पादन का अनुमान है. आइए उसे समझते हैं.
देश में अरहर का रकबा इस साल रिकॉर्ड तोड़ सकता है. आलम ये है इस साल 15 जुलाई तक ही अरहर के बुवाई क्षेत्र में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 15 जुलाई को आधार मान कर पिछले साल और इस साल देश के अंंदर अरहर की बुवाई के रकबे की बात करें तो उसमें 3 गुना की बढ़ोतरी हुई है.
कृषि व किसान कल्याण मंंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 15 जुलाई तक देश के अंदर अरहर बुवाई का रकबा 9.66 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था, जो इस साल 15 जुलाई तक 28.14 लाख हेक्टेयर पर दर्ज किया गया है, जबकि अभी अरहर की पछेती किस्म की बुवाई होनी है. माना जा रहा है कि इस गति से इस साल अरहर का रकबा अपने पिछले रिकॉर्ड तोड़ सकता है. पिछले साल 33 लाख हेक्टेयर से अधिक अरहर की बुवाई हुई थी. तो वहीं 40 लाख टन दाल का उत्पादन हुआ था.
अरहर के रकबे में बढ़ोतरी को दालों की आत्मनिर्भरता के मामले में भारत के बढ़ते कदम के तौर पर देखा जा रहा है. इसके पीछे वजह ये है कि देश के किसानों ने दालों में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपना दम दिखाया है. इसके पीछे भी दो कारण हैं. एक बाजार में अरहर के बेहतर दाम और दूसरी MSP पर 100 फीसदी दालों की खरीदी का ऐलान. असल में केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि वह अरहर, उड़द और मसूर का जितना उत्पादन भी होगा, वह पूरा का पूरा MSP पर खरीदेगी. मौजूदा वक्त में दालों की खेती फायदे का सौदा बनते हुए दिख रही है.