दूसरी मेवाओं की तरह से अखरोट भी साल के 12 महीने खाया जाता है. देश में अखरोट का उत्पादन जम्मू -कश्मीर में होता है. आज की तारीख में दर्जनों वैराइटी के अखरोट उगाए जा रहे हैं. मेवा मंडी खारी बावली, नई दिल्ली में अखरोट का आयात भी किया जाता है. बावजूद इसके जम्मू-कश्मीर का अखरोट हमेशा से डिमांड में बना रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अखरोट का एक पेड़ सीजन में कितने किलो तक फल देता है. एक पेड़ से कितनी इनकम हो जाती है. कितने साल तक एक पेड़ फल देता रहता है.
किसान तक ने ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानने के लिए बात की सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टेंपरेट हॉर्टिकल्चर (सीआईटीएच), जम्मू-कश्मीर के साइंटिस्ट से. यह संस्थान ठंडे इलाकों में होने वाले फल और मेवा पर काम करता है. साथ ही रिसर्च करते हुए फल और मेवा की नई किस्में भी पैदा करता है.
ये भी पढ़ें- ये है दुनिया का सबसे बड़ा अखरोट, इतने महीनों तक नहीं होगा खराब
सीआईटीएच के सीनियर साइंटिस्टक डॉ. वसीम हसन राजा ने किसान तक को बताया कि अखरोट का एक पेड़ अपनी उम्र के हसाब से फल देता है. पेड़ जितना पुराना होगा उतने ही ज्यानदा वो फल देगा. जैसे 10 साल पुराना अखरोट का पेड़ 20 से 25 किलो तक फल देता है. वहीं 20 साल पुराना पेड़ 30 से 40 किलो तक अखरोट देता है. जबकि 30 साल का हो जाने के बाद एक पेड़ 50 से 70 किलो तक अखरोट देने लगता है.
एक पेड़ की उम्र 100 से 150 किलो तक होती है. कुछ पेड़ 200 साल की उम्र को भी पार कर जाते हैं. लेकिन 30 साल की उम्र के बाद पेड़ कितना फल देगा यह निश्चि त नहीं रहता है. एक पेड़ से अखरोट का उत्पामदन 100 किलो तक भी पहुंच जाता है. वर्ना कम से कम 70 से 100 किलो तक तो देता ही है.
अगर मीडियम रेंज का अखरोट बिना छिला 400 रुपये किलो बाग से बिक जाता है तो इस हिसाब से जब एक पेड़ 20 से 25 किलो अखरोट दे रहा होता है, तो 8 से 10 हजार रुपये की इनकम हो जाती है. अब अगर 30 साल पुराने पेड़ की बात करें तो वो 70 से 100 किलो तक अखरोट देता है. अगर बीच की मात्रा 80 किलो भी मान लें तो 400 रुपये किलो से 32 हजार रुपये हो जाते हैं. अब अगर किसी के बाग में 20 पेड़ भी लगे हैं और वो 30 की उम्र के हैं तो एक सीजन की इनकम 6 लाख रुपये तो हो ही जानी है.
ये भी पढ़ें- Uttarakhand में मिलेगा कश्मीरी अखरोट, अरुणाचल प्रदेश में तैयार हो रही नर्सरी
जानकारों की मानें तो जम्मू -कश्मीर में अखरोट का पेड़ काटने पर बैन लगा हुआ है. हालांकि अखरोट के पेड़ की लकड़ी फर्नीचर के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. कश्मीर में घरों में भी अखरोट के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. सूत्र बताते हैं कि बैन लगा होने के बाद भी कई बार अखरोट के पेड़ काटे जाने की खबरें आती रहती हैं. क्योंकि डिमांड के चलते लकड़ी का दाम अच्छा मिल जाता है इसलिए तस्कर अखरोट की लकड़ी बेचने का काम करते ही रहते हैं.
ये भी पढ़ें-
ये भी पढ़ें- Milk की कमी और रेट से जुड़ी खबरों पर यह बोले Amul के पूर्व एमडी आरएस सोढी