राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में छह मई यानी मंगलवार को एक ऐसे रोडमैप को लॉन्च किया गया है जिसे भारतीय कृषि के लिए एक ऐतिहासिक काम बताया जा रहा है. इस रोडमैप को भारत की आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखकर लॉन्च किया गया है. इस रोडमैप के तहत अग्रणी सहकारी नेताओं, नीति निर्माताओं, अर्थशास्त्रियों और टेक्नोक्रेट्स ने सहकारी आर्थिक क्षेत्र (सीईजेड) और सहकारी वस्तु क्षेत्र (सीसीजेड) पर एक राउंडटेबल कॉन्फ्रेंस में चर्चा की. इस कॉन्फ्रेंस में उस दृष्टिकोण पर चर्चा की गई जो सहकारी नेतृत्व में देश में नए आर्थिक सशक्तिकरण और समानता को आगे बढ़ा सके. गांवों के आम लोगों से लेकर किसानों तक के जीवन स्तर को ऊंचा उठा सके.
राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र एवं नीति अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-एनआईएईएंडपी) के साथ इस कॉन्फ्रेंस को आयोजित किया गया था. इस दौरान इफको के अध्यक्ष और एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कॉन्फ्रेंस को लीड किया. इस दौरान इफको के एमडी डॉ. यूएस अवस्थी भी मौजूद थे. इस सहकारी परिवर्तन का खाका वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉमिक फोरम के कार्यकारी अध्यक्ष सहकारी नेता बिनोद आनंद की तरफ से पेश किया गया. इसे इफको और ग्रामीण भारतीय गैर सरकारी संगठनों के परिसंघ (सीएनआरआई) का सहयोग मिला.
इस कॉन्फ्रेंस में जिस मसले पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया, वह था किसानों की उन्नति. इस चर्चा में माना गया कि भारत वास्तव में तभी आगे बढ़ेगा जब उसके किसान उन्नति करेंगे. सहकारिता आंदोलन इसी तरक्की का एक जरिया बनेगा. इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने कहा कि सहकारिताएं केवल संस्थाएं नहीं हैं बल्कि वो भारत की आत्मनिर्भरता की आत्मा हैं. CEZ आर्थिक शक्ति का विकेंद्रीकरण करेंगे. साथ ही इसे ग्रामीण समुदायों के विश्वास को बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि सहकारिता और किसानों के बिना विकसित भारत के सपने को साकार नहीं किया जा सकता है.
इस दौरान इफको के एमडी डॉ. यूएस अवस्थी ने कहा, ' भू-राजनीतिक उतार-चढ़ाव और सप्लाई चेन के नाजुक दौर में सहकारी मॉडल ढाल के तौर पर खड़ा है. नैनो यूरिया से लेकर ड्रोन दीदी तक, इफको के इनोवेशंस ने 225 से ज्यादा महिला उद्यमियों को सीधे फायदा पहुंचाया है. इससे गांव की आबादी को 4.25 करोड़ रुपये का रोजगार मिला है.' उन्होंने इसे सहकार से समृद्धि का एक जीता-जागता उदाहरण करार दिया.
एनसीयूआई युवा समिति के अध्यक्ष मनीष संघानी ने कहा, 'एक आर्थिक तौर पर सशक्त गांवों से एक सुरक्षित और समृद्ध राष्ट्र बनता है. डिजिटल पैक्स के जरिये से हम भविष्य का निर्माण कर रहे हैं.' उनका कहना था कि सहकारिता के जरिए ग्रामीण समृद्धि का नया रास्ता खुलेगा. इस सम्मेलन से संदेश दिया गया कि साल 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है. इसलिए इस सम्मेलन ने भारत को अंतरराष्ट्रीय सहकारी नेतृत्व के नक्शे पर मजबूती से स्थापित किया है. इस फोरम की पूरी सिफारिशें माननीय प्रधानमंत्री, सहकारिता मंत्रालय और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद को सौंपी जाएंगी.
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