पंजाब, हरियाणा, हिमाचल के फैसलों से इथेनॉल पर संकट, क्या उत्पादन पर पड़ेगा असर?

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल के फैसलों से इथेनॉल पर संकट, क्या उत्पादन पर पड़ेगा असर?

केंद्र सरकार ने पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश द्वारा इथेनॉल पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों पर गहरी चिंता जताई है. जानिए यह निर्णय कैसे देश के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम और पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है.

इथेनॉल को लेकर बड़ी बहसइथेनॉल को लेकर बड़ी बहस
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 02, 2025,
  • Updated Jul 02, 2025, 5:14 PM IST

भारत सरकार ने पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश द्वारा इथेनॉल पर लगाए गए अधिक शुल्कों को लेकर गहरी चिंता जताई है. केंद्र सरकार का मानना है कि इन शुल्कों से देश के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम को नुकसान हो सकता है, जिससे ईंधन की कीमतें बढ़ेंगी और पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा. आपको बता दें इथेनॉल, मक्का, गन्ना और गेहूं जैसे पौधों की सामग्री से बना एक अल्कोहल है, जो आज के समय में एक नया ईंधन है. इथेनॉल को गैसोलीन के साथ मिलाकर एक ऐसा ईंधन बनाया जा सकता है जो अधिक स्वच्छ और अधिक कुशल है.

क्या है मामला?

हाल ही में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने इथेनॉल पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है. इनमें रेगुलेटरी फीस, लाइसेंस शुल्क में वृद्धि और नए आयात शुल्क जैसे प्रावधान शामिल हैं. केंद्र सरकार को लगता है कि ये फैसले इथेनॉल की आपूर्ति और वितरण को बाधित कर सकते हैं.

किन राज्यों ने लगाए शुल्क?

  • हिमाचल प्रदेश: कांग्रेस सरकार
  • पंजाब: आम आदमी पार्टी
  • हरियाणा: भारतीय जनता पार्टी

दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा से उम्मीद की जा रही थी कि वह केंद्र की ऊर्जा नीति के तहत काम करेगा, लेकिन उसने भी इथेनॉल पर शुल्क लगाने का अलग फैसला लिया.

केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए?

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को फॉर्मल पत्र भेजे हैं. इन पत्रों में मंत्रालय ने यह साफ किया है कि इथेनॉल पर अतिरिक्त शुल्क लगाने से पेट्रोल में इथेनॉल की मिलावट महंगी हो सकती है, जिससे देशव्यापी मिश्रण लक्ष्य (Nationwide mixing target) प्रभावित हो सकता है.

इथेनॉल क्यों है ज़रूरी?

इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम का उद्देश्य: 

  • कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना
  • पेट्रोल-डीजल के आयात पर निर्भरता घटाना
  • किसानों को उनकी फसलों का बेहतर मूल्य देना
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना

सरकार का लक्ष्य है कि 2025–26 तक 20% और 2030 तक 30% इथेनॉल मिलाया जाए.

जीएसटी और कानूनी पेच

केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि इथेनॉल पहले से ही जीएसटी के अंतर्गत आता है. ऐसे में राज्य सरकारों द्वारा उस पर अलग से शुल्क लगाना नीति और कानून, दोनों के खिलाफ हो सकता है. ग्रेन इथेनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन सहित कई उद्योग संगठन केंद्र की चिंता से सहमत हैं. उनका कहना है कि कच्चे माल की बढ़ती लागत और स्थिर बिक्री मूल्य के बीच पहले से ही उद्योग पर आर्थिक दबाव है. अब यदि राज्य अतिरिक्त शुल्क लगाते हैं, तो उत्पादन और रोजगार पर असर पड़ सकता है.

क्या है आगे का रास्ता?

केंद्र सरकार ने राज्यों से अपील की है कि वे इन नए शुल्कों को या तो वापस लें या उनमें संशोधन करें. सरकार का कहना है कि वह स्वच्छ ऊर्जा और राष्ट्रीय ऊर्जा लक्ष्यों को पाने के लिए सभी राज्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है. इथेनॉल पर अतिरिक्त शुल्क से जुड़े मुद्दे पर केंद्र और राज्यों के बीच मतभेद साफ दिखाई दे रहे हैं. यह जरूरी है कि सभी पक्ष मिलकर काम करें, ताकि देश का ऊर्जा भविष्य स्वच्छ, किफायती और टिकाऊ बन सके.

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