Farmer Safety: घने कोहरे या तेज हवा में क्यों नहीं करना चाहिए दवा का छिड़काव, जानें  

Farmer Safety: घने कोहरे या तेज हवा में क्यों नहीं करना चाहिए दवा का छिड़काव, जानें  

घने कोहरे के दौरान हवा में नमी बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में जब दवा का छिड़काव किया जाता है तो दवा की बूंदें पत्तियों पर ठीक से चिपक नहीं पातीं. दवा या तो बह जाती है या फिर जरूरत से ज्यादा देर तक गीली रहती है, जिससे फसल को नुकसान हो सकता है. कोहरे में तापमान भी कम होता है. कम तापमान में कई कीटनाशक और फफूंदनाशक दवाएं सही तरीके से काम नहीं कर पातीं.

क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Dec 25, 2025,
  • Updated Dec 25, 2025, 4:24 PM IST

फसलों को कीट और रोगों से बचाने के लिए दवा का छिड़काव किसानों के लिए बेहद जरूरी काम है. लेकिन सही समय और सही मौसम में किया गया छिड़काव ही असरदार होता है. अक्सर देखा जाता है कि किसान घने कोहरे या तेज हवा के बावजूद दवा का छिड़काव कर देते हैं, जिससे फायदा होने की बजाय नुकसान ज्यादा हो जाता है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसे मौसम में छिड़काव करने से दवा की प्रभावशीलता घट जाती है और फसल, किसान और पर्यावरण तीनों को नुकसान पहुंचता है.

घने कोहरे में छिड़काव से क्‍या खतरा 

घने कोहरे के दौरान हवा में नमी बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में जब दवा का छिड़काव किया जाता है तो दवा की बूंदें पत्तियों पर ठीक से चिपक नहीं पातीं. दवा या तो बह जाती है या फिर जरूरत से ज्यादा देर तक गीली रहती है, जिससे फसल को नुकसान हो सकता है. कोहरे में तापमान भी कम होता है. कम तापमान में कई कीटनाशक और फफूंदनाशक दवाएं सही तरीके से काम नहीं कर पातीं. इसका सीधा असर यह होता है कि कीट और रोग पूरी तरह खत्म नहीं होते और किसान को दोबारा छिड़काव करना पड़ता है, जिससे लागत बढ़ जाती है.

कैसे होता है नुकसान

तेज हवा में दवा का छिड़काव करना सबसे ज्यादा जोखिम भरा माना जाता है. हवा के कारण दवा खेत की फसल पर गिरने की बजाय उड़कर आसपास के खेतों, जल स्रोतों या आबादी वाले इलाकों में पहुंच सकती है. इससे पड़ोसी फसलों को नुकसान हो सकता है और पर्यावरण भी प्रभावित होता है. तेज हवा में दवा की सही मात्रा फसल तक नहीं पहुंच पाती. कहीं ज्यादा दवा गिर जाती है तो कहीं बिल्कुल नहीं. इससे फसल पर दवा का असमान प्रभाव पड़ता है और कीट नियंत्रण सही तरीके से नहीं हो पाता.

सेहत पर भी असर

कोहरे या तेज हवा में दवा छिड़काव करने से किसान की सेहत को भी गंभीर खतरा होता है. हवा के साथ दवा के कण उड़कर किसान के चेहरे, आंखों और सांस के जरिए शरीर में चले जाते हैं. इससे आंखों में जलन, सांस की समस्या, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. लंबे समय तक इस तरह के छिड़काव से त्वचा रोग और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए सुरक्षा के लिहाज से भी ऐसे मौसम में छिड़काव से बचना चाहिए. घने कोहरे और तेज हवा में किया गया छिड़काव अक्सर बेकार चला जाता है. दवा का बड़ा हिस्सा फसल तक पहुंच ही नहीं पाता. इससे किसान को दोबारा दवा खरीदनी पड़ती है और दोबारा छिड़काव करना पड़ता है.

बढ़ती है दवा की लागत 

इस स्थिति में न सिर्फ दवा की लागत बढ़ती है, बल्कि मजदूरी और मशीनरी का खर्च भी ज्यादा हो जाता है. यानी गलत समय पर किया गया छिड़काव सीधे-सीधे किसान की जेब पर असर डालता है. तेज हवा में उड़कर गई दवा मिट्टी, पानी और हवा को प्रदूषित करती है. इससे फायदेमंद कीट, मधुमक्खियों और दूसरे जीव-जंतुओं पर भी असर पड़ता है. वहीं वॉटर बॉडीज में दवा मिलने से मछलियों और पशुओं के लिए खतरा बढ़ जाता है. कोहरे में नमी के कारण दवा जमीन पर ज्यादा देर तक बनी रहती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है.

सही समय क्या है

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार दवा का छिड़काव सुबह या शाम के समय, जब हवा की गति कम हो और मौसम साफ हो, तब करना सबसे बेहतर होता है. हल्की धूप और सामान्य तापमान में दवा ज्यादा असरदार होती है. छिड़काव से पहले मौसम का पूर्वानुमान जरूर देखना चाहिए. अगर बारिश, तेज हवा या घना कोहरा होने की संभावना हो तो छिड़काव टाल देना चाहिए. फसल की सुरक्षा के लिए दवा का चुनाव जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है सही समय पर उसका छिड़काव. घने कोहरे और तेज हवा में किया गया छिड़काव फायदे की बजाय नुकसान पहुंचाता है. इसलिए किसान अगर थोड़ी सावधानी बरतें और सही मौसम का इंतजार करें, तो फसल भी सुरक्षित रहेगी और खर्च भी कम होगा.

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