तिलहन फसलों की बात करें तो सरसों और सोयाबीन के साथ सूरजमुखी का जिक्र जरूर होता है. दरअसल, भारत सूरजमुखी का तेल भी बड़े पैमाने पर आयात करता है. इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा मानी जाती है. सूरजमुखी की खेती साल में तीनों मौसमों में की जा सकती है. हालांकि, रबी और जायद का सीजन इसकी फसल के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. लेकिन जायद सीजन में की गई सूरजमुखी की खेती में पत्ते खाने वाले कीटों का हमला देखा जा रहा है, जिससे फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. ऐसे में अगर किसानों को नुकसान से बचना है तो बचाव के लिए तुरंत छिड़कें ये दवा. साथ ही किसान फसल की सिंचाई का भी ध्यान रखें.
जायद में बोई गई सूरजमुखी की फसल में पत्ती खाने वाले कीट (लीफ हॉपर) लगने का खतरा बढ़ गया है. इस कीट के लगने पर पत्तियां सूख जाती हैं और उत्पादन पर भी असर पड़ता है. ऐसे में फसलों को कीट से बचाने के लिए मोनोक्रोटोफॉस 0.05 प्रतिशत या डाइमेथोएट 0.03 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए. रस चूसक कीट, एफिड्स और जैसिड की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोरोपिड 125 ग्राम प्रति हेक्टेयर या एसिटामिप्रिड 125 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. चेंपा जो कि पौधों से रस चूसते हैं इसका प्रकोप हो तो उसके नियंत्रण के लिए 200 मिली. मैलाथियान 50 ई.सी. को 200 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें.
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सूरजमुखी की फसल में रतुआ, डाऊनी मिल्ड्यू, रेड रॉट, राइजोपस रेड रॉट जैसी रोगों की समस्या देखी जा रही है. ऐसे में इन रोगों से बचाव के लिए मैंकोजेब 3 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. वहीं, अगर सूरजमुखी की फसल में फूल आ रहे हों तो 2 फीसदी बोरेक्स और 1 प्रतिशत जिंक सल्फेट के छिड़काव करें. इससे दाने मोटे होते हैं और तेल उपज में वृद्धि होती है. इसके अलावा रोगों से रोकथाम के लिए फफूंदीनाशक दवा जैसे बाविस्टिन या थीरम दवा से बीजोपचार ही सबसे बढ़िया तरीका है.
जायद में बोई गई सूरजमुखी की फसल में तीन सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. पहली सिंचाई बुवाई के 30-35 दिनों बाद करें. साथ ही इस अवस्था में नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा का उपयोग करें. वहीं, दूसरी सिंचाई 40-45 दिनों बाद फूल आने की अवस्था में करें. इसके अलावा अंतिम सिंचाई बीज बनने की अवस्था में करें. फूल आने के समय मधुमक्खियां प्राकृतिक रूप से बहुत सक्रिय होती हैं, जिससे फलों में दाना बनता है और पैदावार में वृद्धि होती है. साथ ही बीजों से अधिक तेल मिलता है.
सूरजमुखी की फसल में निराई-गुड़ाई करना बहुत महत्वपूर्ण होता है, खासकर दूसरी सिंचाई के बाद और मई के महीने में. खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए पेंडीमेथिलीन 3 प्रतिशत ईसी का छिड़काव किया जा सकता है. इसके अलावा, बुआई के एक महीने बाद दो बार निराई-गुड़ाई करें. साथ ही पौधों पर मिट्टी चढ़ाने का काम भी ध्यान से करें.