पंजाब के मुक्तसर जिले के कई किसानों ने आरोप लगाया है कि उन्हें 'सुपर' इस नाम से बेचे जा रहे एक प्रॉडक्ट की गलत बिक्री से धोखा दिया गया. किसानों की मानें तो एक प्राइवेट कंपनी ने कुछ सहकारी समितियों के माध्यम से इसे उन्हें बेचा था. किसानों का कहना है कि उन्हें यह भरोसा दिलाया गया कि यह उत्पाद अपने नाम और पैकेजिंग के आधार पर एक उच्च श्रेणी का उर्वरक, सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) है. वहीं कृषि विभाग ने इस पर कुछ और ही कहा है.
अखबार द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार कृषि विभाग के अधिकारियों ने साफ किया है कि संबंधित उत्पाद एसएसपी नहीं है, बल्कि केवल कैल्शियम सल्फेट है. यह रासायनिक तौर पर जिप्सम के ही समान है और आमतौर पर मिट्टी के कंडीशनर के रूप में उपयोग किया जाता है. जबकि जिप्सम के एक स्टैंडर्ड 50 किलोग्राम के बैग की कीमत करीब 205 रुपये है, 'सुपर' उत्पाद को 759 रुपये प्रति बैग की बहुत ज्यादा कीमत पर बेचा गया. इससे किसानों के शोषण की आशंका बढ़ गई है. हालांकि, बाजार में एसएसपी का एक बैग 475 रुपये में उपलब्ध है.
मुक्तसर के मुख्य कृषि अधिकारी करणजीत सिंह ने कहा, 'सुपर उत्पाद जिप्सम जैसा ही है, जो 205 रुपये प्रति बैग बिकता है. हमने इस संबंध में विक्रेताओं को नोटिस जारी किए हैं. अगर कोई उल्लंघन पाया जाता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. साथ ही हमने चंडीगढ़ के वरिष्ठ अधिकारियों को चिट्ठी लिखी है.' इस बीच, किसानों ने सरकार से भ्रामक उत्पादों की बिक्री को रोकने, प्रभावित लोगों को मुआवजा देने और सहकारी समितियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाने की अपील की है.
सक्कनवाली गांव के किसान का कहना है कि उन्होंने सहकारी समिति पर भरोसा किया क्योंकि उन्हें लगता था कि अच्छी गुणवत्ता वाली खाद मिलेगी. बाद में पता चला कि 'सुपर' बैग के नाम पर सिर्फ जिप्सम था. सच्चाई तब पता चली जब नई बोई गई धान की फसल पर कोई सकारात्मक असर नहीं हुआ. हमारे गांव में ही करीब 300 बैग बिके हैं. पूरे राज्य में क्या स्थिति है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.' किसानों का कहना है कि खेतों में जिप्सम की जरूरत ही नहीं थी. अब किसानों को एसएसपी के इस्तेमाल पर अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा.
वहीं वरिष्ठ किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले साल नवंबर में इस उत्पाद पर प्रतिबंध लगा दिया था. हैरानी की बात यह है कि इसे सिर्फ 20 दिन बाद ही बेचने की अनुमति दे दी गई. सहकारी समितियों के जरिए उत्पाद बेचे जाने की वजह से किसानों को लूटा जा रहा है. यह सिर्फ जिप्सम है या इसमें बहुत कम कैल्शियम है. इससे किसानों और उनके खेतों को कोई फायदा नहीं होगा. उन्होंने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि अगर वह प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं देगी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी तो फिर किसान आंदोलन करने पर मजबूर होंगे.
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