लीची का सबसे बड़ा दुश्‍मन है बदबूदार कीट, फरवरी में बचाव के लिए कर लें ये जरूरी उपाय

लीची का सबसे बड़ा दुश्‍मन है बदबूदार कीट, फरवरी में बचाव के लिए कर लें ये जरूरी उपाय

स्टिंक बग लीची के लिए बेहद खतरनाक कीट है, जो समय पर नियंत्रण नहीं होने पर भारी नुकसान पहुंचा सकता है. किसानों को अभी से सतर्क होकर प्रबंधन रणनीतियां अपनानी चाहिए, ताकि फसल को इस कीट से सुरक्षित रखा जा सके. यांत्रिक और रासायनिक नियंत्रण के दोनों के संयोजन से इस कीट के प्रकोप को प्रभावी रूप से रोका जा सकता है.

stink bug litchistink bug litchi
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 11, 2025,
  • Updated Feb 11, 2025, 2:08 PM IST

लीची किसानों के लिए सावधान होने का समय आ गया है. हर साल की तरह इस बार भी लीची के मंजर और फलों पर स्टिंक बग (बदबूदार कीट) का हमला हो सकता है, जिससे फसल को भारी नुकसान होने की आशंका है. यदि अभी से उचित प्रबंधन नहीं किया गया तो उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है. लीची के बागानों में फरवरी और मार्च के दौरान कीट और रोग लगने की संभावना अधिक रहती है. स्टिंक बग लीची का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाता है. स्टिंक बग का जैविक नाम टेसाराटोमा जावानिका (थनबर्ग) है, जिसे आमतौर पर बदबूदार कीट कहा जाता है. इसका रंग लीची की शाही किस्म के समान होता है, जिससे इसे पहचान पाना कठिन हो सकता है. यह कीट झुंड में हमला करता है और तेजी से फैलता है.

स्टिंक बग से होने वाले नुकसान

  • स्टिंक बग लीची के नए पत्तों, मंजर, फूलों और विकसित होते फलों का रस चूसता है. 
  • अत्यधिक रस चूसने के कारण बढ़ती कलियाँ और कोमल अंकुर सूख जाते हैं, जिससे फूल और फल गिरने लगते हैं. 
  • प्रभावित फल काले पड़ जाते हैं और उनकी गुणवत्ता खराब हो जाती है. 
  • युवा टहनियों के ऊतक क्षय होने से टहनी का शीर्ष भाग सूखने लगता है. 
  • यह कीट लीची की फसल को 80% तक नुकसान पहुँचा सकता है. 

स्टिंक बग के जीवन चक्र और प्रकोप का समय

  • यह कीट सर्दियों में सुषुप्त अवस्था में रहता है और जनवरी के अंतिम सप्ताह से सक्रिय हो जाता है. 
  • फरवरी के पहले सप्ताह में लीची के पेड़ों पर झुंड में नजर आता है. 
  • फरवरी के दूसरे सप्ताह से मादा कीट नई पत्तियों की निचली सतह पर अंडे देना शुरू करती है. 
  • मादा एक बार में लगभग 14 अंडों का समूह देती है, जो हल्के गुलाबी रंग के होते हैं. 

स्टिंक बग लीची के लिए बेहद खतरनाक कीट है, जो समय पर नियंत्रण नहीं होने पर भारी नुकसान पहुंचा सकता है. किसानों को अभी से सतर्क होकर प्रबंधन रणनीतियां अपनानी चाहिए, ताकि फसल को इस कीट से सुरक्षित रखा जा सके. यांत्रिक और रासायनिक नियंत्रण के दोनों के संयोजन से इस कीट के प्रकोप को प्रभावी रूप से रोका जा सकता है.

स्टिंक बग की रोकथाम के उपाय

1. यांत्रिक नियंत्रण (मैन्युअल नियंत्रण)

  • सुबह के समय पेड़ की शाखाओं को हल्के झटकों से हिलाएं ताकि कीट नीचे गिर जाएं. 
  • गिरे हुए कीटों को इकट्ठा करके मिट्टी में दबा दें या नष्ट कर दें. 

2. कीटनाशक नियंत्रण

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर द्वारा अनुशंसित निम्नलिखित कीटनाशक छिड़काव करें: 

थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी 0.5 मिली + फिप्रोनिल 5% एससी 1.5 मिली दवा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे  या 
थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी 0.5 मिली दवा + प्रोफेन्फोस 50% एससी 1.5 मिली दवा प्रति लीटर पानी  में मिलाकर छिड़काव करें.

3. छिड़काव का सही समय

  • पहला स्प्रे 7 से 10 फरवरी के बीच करें. 
  • दूसरा स्प्रे 17 से 20 फरवरी के बीच करें. 
  • स्प्रे के बाद गिरे हुए कीटों को झाड़ू से इकट्ठा कर गड्ढे में दबा दें. 
  • कीटनाशक घोल में स्टीकर (0.4 मिली/लीटर) मिलाने से प्रभाव अधिक होता है. 

इस प्रकार इन उपायो को अपना कर  लीची फसल को सुरक्षित रखने के लिए अभी से उचित कदम उठाएं और जिससे कि लीची के बाग से उच्च गुणवत्ता वाले अधिक लीची के उपज प्राप्त कर सकें.

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