लीची किसानों के लिए सावधान होने का समय आ गया है. हर साल की तरह इस बार भी लीची के मंजर और फलों पर स्टिंक बग (बदबूदार कीट) का हमला हो सकता है, जिससे फसल को भारी नुकसान होने की आशंका है. यदि अभी से उचित प्रबंधन नहीं किया गया तो उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है. लीची के बागानों में फरवरी और मार्च के दौरान कीट और रोग लगने की संभावना अधिक रहती है. स्टिंक बग लीची का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाता है. स्टिंक बग का जैविक नाम टेसाराटोमा जावानिका (थनबर्ग) है, जिसे आमतौर पर बदबूदार कीट कहा जाता है. इसका रंग लीची की शाही किस्म के समान होता है, जिससे इसे पहचान पाना कठिन हो सकता है. यह कीट झुंड में हमला करता है और तेजी से फैलता है.
स्टिंक बग लीची के लिए बेहद खतरनाक कीट है, जो समय पर नियंत्रण नहीं होने पर भारी नुकसान पहुंचा सकता है. किसानों को अभी से सतर्क होकर प्रबंधन रणनीतियां अपनानी चाहिए, ताकि फसल को इस कीट से सुरक्षित रखा जा सके. यांत्रिक और रासायनिक नियंत्रण के दोनों के संयोजन से इस कीट के प्रकोप को प्रभावी रूप से रोका जा सकता है.
1. यांत्रिक नियंत्रण (मैन्युअल नियंत्रण)
2. कीटनाशक नियंत्रण
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर द्वारा अनुशंसित निम्नलिखित कीटनाशक छिड़काव करें:
थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी 0.5 मिली + फिप्रोनिल 5% एससी 1.5 मिली दवा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे या
थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी 0.5 मिली दवा + प्रोफेन्फोस 50% एससी 1.5 मिली दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
3. छिड़काव का सही समय
इस प्रकार इन उपायो को अपना कर लीची फसल को सुरक्षित रखने के लिए अभी से उचित कदम उठाएं और जिससे कि लीची के बाग से उच्च गुणवत्ता वाले अधिक लीची के उपज प्राप्त कर सकें.