किसान खेती में जल्दी परिणाम और ज्यादा पैदावार के चक्कर में रासायनिक उर्वरकों का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं, जिसकी वजह से अनाज, फल, सब्जियों पर भी इनका बुरा असर देखने को मिलता है. साथ ही ये लॉन्ग टर्म में जमीन के पोषक तत्वों को नुकसान पहुंचाने का काम भी करते हैं. ऐसे में किसान वर्मीवाश को एक बेहतर ऑप्शन के तौर पर अपनाकर रासायनिक खाद से होने वाले नुकसान से बच सकते हैं. जानिए वर्मीवाश क्या होता है और कैसे काम करता है.
वर्मीवाश रासायनिक खादों का एक बढ़िया विकल्प है, जिसे वर्मी कंपोस्ट से बेहद कम लागत बनाया जा सकता है. यह भूरे रंग का लिक्विड जैव उर्वरक है, जिसे केंचुआ खाद बनाने के दौरान या अलग से तैयार किया जा सकता है. इसमें केंचुओं के छोड़े गए हार्मोन, एंजाइम, पोषक तत्व जैसे- नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश मौजूद होते हैं.
वर्मीवाश के इस्तेमाल पर्यावरण को नुकसान से बचाया जा सकता है. फसलों से मिलने वाली अनाज, फल, सब्जियों की क्वालिटी और स्वाद में सुधार भी होता है. फसलों और सब्जियों में कीटनाशी और रोगनाशी के रूप में भी वर्मीवाश अच्छा काम करता है.
वर्मीवाश बनाने के लिए गोबर, मिट्टी, मोटी रेत, केंचुआ, सूखे पत्ते या पुआल, पानी, बाल्टी, ड्रम, मिट्टी का घड़ा, ईंट/गिट्टी के छोटे टुकड़े की जरूरत पड़ती है.
अलग-अलग प्रयोगों में सामने आए परिणामों के मुताबिक, वर्मीवाश 10 से 25 प्रतिशत तक फल, सब्जियों का उत्पादन बढ़ा सकता है, जबकि इसके इस्तेमाल का कोई साइडइफेक्ट भी नहीं है. इसलिए खेती में वर्मीवाश का इस्तेमाल काफी लाभदायक माना जाता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today