Groundnut Farming: मूंगफली खरीफ के मौसम की एक अहम तिलहनी फसल है. किसान आमतौर पर जून के पहले या दूसरे हफ्ते में बोया जाता है. लेकिन सिर्फ बुवाई से काम नहीं चलता है. अगर आप मूंगफली से भरपूर उत्पादन चाहते हैं तो शुरुआत से लेकर कटाई तक हर कदम पर खास ध्यान देना बहुत जरूरी है. इसमें बेहतर फसल प्रबंधन के साथ-साथ बीमारियों और कीटों से बचाव की सही रणनीति अपनाना बेहद जरूरी हो जाता है.
राजस्थान कृषि विभाग की तरफ से किसानों को मूंगफली की फसल को दीमक, सफेद लट, कॉलर रॉट, टिक्का रोग (पत्तियों पर धब्बे) और ऐसे कई कीटों और रोगों से बचने के लिए कहा गया है. कृषि विभाग की तरफ से कहा गया है कि अगर समय पर इन कीटों को नियंत्रित न किया जाए तो फसल की पैदावार प्रभावित हो सकती है. मूंगफली की बेहतर पैदावार के लिए सिर्फ बीज डालना ही काफी नहीं है. बुवाई से पहले बीज और मिट्टी का सही उपचार, सही उर्वरकों का प्रयोग, कीटों से बचाव और समय पर निराई जैसे उपाय अपनाकर किसान अपनी फसल की क्वालिटी और उत्पादन दोनों में जबरदस्त सुधार ला सकते हैं.
विभाग की मानें तो बीज उपचार यानी सीड ट्रीटमेंट और सॉयल ट्रीटमेंट से फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है. बुवाई से पहले 2.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा को 100 किलो गोबर खाद में मिलाकर एक हेक्टेयर में प्रयोग करें. इसके अलावा बीजों को कार्बाक्सिन + थाइरम (3 ग्राम) या मैन्कोजेब (2 ग्राम) प्रति किलो बीज के हिसाब से ट्रीट करें. अगर कम केमिकल का प्रयोग करना चाहते हैं तो 1.5 ग्राम थाइरम और 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज पर प्रयोग करें.
वहीं अगर फसल को सफेद लट से बचाना है तो बीज का बुवाई से पहले इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस (6.5 मि.ली./किग्रा बीज) या क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यूडीजी (2 ग्राम/किग्रा बीज) से ट्रीटमेंट करें. ट्रीटमेंट के बाद बीजों को छांव में दो घंटे तक सुखाएं. 250 किग्रा नीम खली प्रति हेक्टेयर बुवाई से पहले खेत में जरूर मिलाएं. इससे जिससे दीमक और बाकी कीट नियंत्रण में रहेंगे. बीजों को अगर राइजोबियम बैक्टीरिया कल्चर से ट्रीट किया जाए तो न सिर्फ मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है बल्कि फसल की पैदावार भी बेहतर होती है. 2.5 लीटर पानी में 300 ग्राम गुड़ को गर्म कर घोल बनाएं। ठंडा होने पर इसमें 600 ग्राम राइजोबियम कल्चर मिलाएं और इससे बीजों को भिगोकर उन्हें ट्रीट करें.
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