पूरे देश में चलाया गया विकसित कृषि संकल्प अभियान समाप्त हो गया. इस दौरान किसानों को बहुत कुछ सीखने और जानने को मिला. वैज्ञानिकों की टीमों ने गांवों का दौरा किया और किसानों से सीधा संवाद किया. इस दौरान किसानों को खरीफ फसलों की खेती की जानकारी दी गई. किसानों को बताया गया कि इस सीजन में कौन सी फसलें लगाएं जो कम खर्च और कम लागत में अधिक से अधिक उपज दे सकें. इसी में आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी, देहरादून के वैज्ञानिकों ने किसानों को जरूरी सलाह दी. आइए जानते हैं इसके बारे में.
किसानों को खाद्यान्न, चारा, और नकदी फसलों जैसे धान, मक्का, मोटे अनाज (जैसे मंडुआ और गिंगोरा), तिल, अरहर, मूंग, उड़द, अदरक, कचालू, हल्दी और टमाटर, लोबिया, फ्रेंच बींस जैसी सब्जियों की खेती करनी चाहिए. उपज बढ़ाने के लिए, किसानों को पारंपरिक धान की किस्में जैसे नागिनी और राम जवान के स्थान पर उच्च उत्पादन वाली किस्में जैसे पूसा बासमती-1, पूसा बासमती-2, और पूसा बासमती-1509 अपनाना चाहिए. इसी प्रकार मक्का के लिए कंचन-25, उड़द के लिए टाइप-9 और मंडुआ के लिए वीएल-379 की खेती करने की सिफारिश की गई है.
किसानों को मक्का, हल्दी और उड़द जैसी चौड़ी पत्तियों वाली और छाया देने वाली फसलों को लगाना चाहिए क्योंकि ये फसलें मॉनसून की भारी बारिश के दौरान मिट्टी के कटाव को कम करने में मदद करती हैं. लोबिया, उड़द और फ्रेंच बींस जैसी दलहनी फसलों को नाइट्रोजन स्थिरीकरण और चारे की क्वालिटी बढ़ाने के लिए अपनाने का सुझाव दिया गया है. किसानों को मिश्रित खेती और अंतरवर्तीय फसल प्रणाली अपनाने और ढालू भूमि में ढाल के समानांतर नहीं, बल्कि उसके आड़े-तिरछे रोपाई और खेती के काम करने की सलाह दी गई है जिससे मिट्टी कटाव को रोका जा सके और भूमि की उत्पादकता और मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके. बंजर और घासयुक्त भूमि में बांस लगाने की भी सिफारिश की गई है, ताकि आय में वृद्धि हो और मिट्टी कटाव की समस्या को कम किया जा सके.
किसान सफल खेती के लिए ड्रोन तकनीक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. यह तकनीक तेजी से बढ़ रही है क्योंकि इसमें सस्ते में किसानों को खेती की सुविधा मिल रही है. इससे बड़े-बड़े खेतों में आसानी से कीटनाशकों को छिड़काव किया जा सकता है. जिस काम में कई-कई घंटे लगते हैं, वह काम कुछ मिनटों में पूरा किया जा सकता है. दुर्गम या पहाड़ी इलाकों में फसलों की निगरानी बड़ी समस्या होती है. इस समस्या को ड्रोन के जरिये निपटाया जा सकता है क्योंकि ड्रोन ऐसे क्षेत्रों में आसानी से फसलों की निगरानी कर सकते हैं और किसानों को रियलटाइम में जानकारी दे सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today