रबी सीजन की फसलों की बुवाई के लिए तैयारियों में किसान जुटे हैं. सरसों की बुवाई करने वाले किसानों के लिए भारतीय कृषि विज्ञान परिषद (ICAR) ने सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 (पीडीजेड 14) (Pusa Double Zero Mustard 35 (PDZ 14)) पेश की है. यह किस्म सफेद रतुआ समेत 4 रोगों से लड़ने में सक्षम होने के साथ ही पनपने नहीं देती है. ICAR ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत 4 राज्यों के किसानों को इस उन्नत किस्म की बुवाई करने की सलाह दी है.
भारतीय कृषि विज्ञान परिषद (ICAR) के IARI ने सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 (पीडीजेड 14) (Pusa Double Zero Mustard 35 (PDZ 14)) विकसित की है. इस किस्म को मार्च में बुवाई के लिए मंजूरी दी गई थी. अब रबी सीजन में सरसों की बुवाई करने वाले किसानों को इस उन्नत किस्म का इस्तेमाल करने को कहा गया है. यह किस्म सिंचाई सुविधाओं वाले इलाकों के लिए समय पर बुवाई के लिए उत्तम बताई गई है.
भारतीय कृषि विज्ञान परिषद (ICAR) के अनुसार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के किसानों को सरसों की उत्तम किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 (पीडीजेड 14) की बुवाई की सलाह दी गई है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार 132 दिन में यह किस्म तैयार हो जाती है. कई रोगों को पनपने नहीं देने की क्षमता के चलते किसान इस फसल की बुवाई से प्रति हेक्टेयर 21.48 क्विंटल से अधिक की उपज हासिल कर सकते हैं.
IARI के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 (पीडीजेड 14) किस्म सरसों फसल के लिए घातक 4 रोगों को पनपने नहीं देती है. सरसों की यह उत्तम किस्म सफेद रतुआ रोग यानी व्हाइट रस्ट, अल्टरनेरिया ब्लाइट यानी फफूंदी रोग, स्केलेरोटिनिया स्टेम रॉट यानी फफूंदी रोग, डाउनी फफूंद और पाउडरी फफूंद रोग से लड़ने में सक्षम है और इन रोगों को पनपने नहीं देती है. इससे किसानों को इन रोगों की रोकथाम के लिए कीटनाशकों, दवाओं पर खर्च नहीं करना पड़ता है. इसके अलावा उपज भी ज्यादा होती है.
खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनने के लिए केंद्र सरकार ने 2024-25 रबी सीजन में सरसों का रकबा 100 लाख हेक्टेयर के पार पहुंचने की उम्मीद जताई है. क्योंकि, केंद्र ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 200 रुपये बढ़ाकर 5650 रुपये प्रति क्विंटल किया है. जबकि, किसानों को इसमें और बढ़ोत्तरी की उम्मीद है. बता दें कि इससे पहले 2022-23 में सरसों का बुवाई क्षेत्रफल 98.02 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था, जो 6.77 लाख हेक्टेयर अधिक था. क्योंकि, 2021-22 में सरसों का क्षेत्रफल 91.25 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था.