महोबा में किसानों का फूटा गुस्सा: खाद वितरण में देरी पर सहकारी केंद्र पर हंगामा, कर्मचारी की पिटाई

महोबा में किसानों का फूटा गुस्सा: खाद वितरण में देरी पर सहकारी केंद्र पर हंगामा, कर्मचारी की पिटाई

खाद वितरण में देरी और अनियमित आपूर्ति को लेकर किसान भड़के. सहकारी खाद बिक्री केंद्रों पर किसानों ने ताले तोड़ने की कोशिश की. कर्मचारियों की पिटाई, पुलिस से धक्कामुक्की, अफरातफरी का माहौल. लाइन में लगे किसानों को घंटों इंतजार, फिर शटर बंद कर दिया गया. मुख्य रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र — महोबा, झांसी, ललितपुर, चित्रकूट, बांदा आदि जिलों में हालात गंभीर. कुलपहाड़ तहसील (महोबा) में सबसे ज्यादा उग्र विरोध.

urea crisis in mahobaurea crisis in mahoba
नाहिद अंसारी
  • Mahoba,
  • Sep 13, 2025,
  • Updated Sep 13, 2025, 7:15 AM IST

उत्तर प्रदेश में महोबा जिले के सहकारी खाद बिक्री केंद्र पर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा. खाद वितरण में लगातार हो रही देरी और कर्मचारियों की मनमानी से नाराज किसानों ने पहले केंद्र का ताला तोड़ने की कोशिश की. इसके बाद मौके पर मौजूद कर्मचारी को दौड़ाकर पीट दिया. 

यही नहीं, हालात काबू करने पहुंचे पुलिसकर्मियों से भी किसानों की धक्कामुक्की हो गई. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल है. पुलिस ने बमुश्किल मामले को शांत कराते हुए अधिकारियों की मौजूदगी में लाइन लगवाकर खाद का वितरण कराया.

किसानों का धैर्य टूटा

यह मामला कुलपहाड़ तहसील के पीसीएफ खाद बिक्री केंद्र जैतपुर का है जहां सुबह से ही बड़ी संख्या में किसान खाद लेने केंद्र पर पहुंचे थे. कई घंटे इंतजार के बाद भी खाद न मिलने पर किसानों का धैर्य टूट गया. 

जब बिक्री केंद्र की शटर बंद कर दी गई तो भीड़ भड़क उठी और वहां मौजूद कर्मचारी रामस्वरूप को दौड़ाकर मारपीट कर दी. देखते ही देखते हालात बिगड़ गए और केंद्र परिसर में अफरातफरी मच गई. सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और समझा-बुझाकर मामला शांत कराया. 

ये हैं प्रशासनिक पक्ष

बाद में एसडीएम की मौजूदगी में किसानों को लाइन में लगवाकर खाद का वितरण कराया गया. पीसीएफ जैतपुर केंद्र प्रभारी दिनेश कुमार ने बताया कि केंद्र से 56 गांवों के किसानों को खाद बांटी जानी है, जिसके कारण भीड़ बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि किसानों को धैर्य रखना चाहिए, लेकिन इसके बावजूद कर्मचारी के साथ मारपीट की गई. इस मामले में कर्मचारी ने थाने में तहरीर भी दी है.

किसानों के बयान

वहीं किसानों का आरोप है कि खाद समय से उपलब्ध नहीं कराई जा रही और कर्मचारी जानबूझकर मनमानी कर रहे हैं. किसान अवधेश ने बताया कि 10 बीघा खेत के लिए पांच बोरी खाद चाहिए, लेकिन दो दिन से खाद नहीं मिल रही है. 

किसान रविंद्र कुमार ने कहा कि सुबह 6 बजे से भूखा लाइन में लगे हैं, फिर भी खाद नहीं मिली. इसी तरह हरवंश और सुरेश मिश्रा ने भी शिकायत की कि घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद अचानक दुकान की शटर बंद कर दी गई और कर्मचारियों ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया.

किसानों का कहना है कि सीजन में समय पर खाद न मिलने से फसल पर बुरा असर पड़ रहा है, लेकिन अधिकारी और कर्मचारी गंभीर नहीं हैं. इस पूरे मामले ने सहकारी खाद बिक्री केंद्रों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. प्रशासन अब जांच की बात कर रहा है.

खाद न मिलने के कारण

खाद की कमी के संभावित कारणों की बात करें तो इसमें केंद्रों पर सप्लाई में देरी, डिमांड के अनुसार खाद उपलब्ध नहीं, मॉनसून के चलते एक साथ मांग बढ़ी, वितरण व्यवस्था में लापरवाही या भ्रष्टाचार की आशंका, डिजिटल टोकन या ऐप-आधारित वितरण का अभाव आदि शामिल हैं.

खाद नहीं मिलने का प्रभाव

किसानों को खाद नहीं मिलने से फसलों पर कई तरह के प्रभाव दिख सकते हैं. समय पर खाद नहीं मिलने से खरीफ फसलों का नुकसान हो सकता है. कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम की नौबत देखी जा रही है. खाद वितरण में देरी से सरकारी वितरण प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. इसके साथ ही प्रशासन की कार्यप्रणाली की भी आलोचना हो रही है.

MORE NEWS

Read more!