लोबिया एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है. लोबिया की खेती मैदानी इलाकों में फरवरी से लेकर अक्टूबर तक की जाती है. ऐसे में कृषि एक्सपर्ट की मानें तो इसकी खेती बरसात के दिनों में करना बेहतर माना जाता है. लोबिया एक फलीदार पौधा है जिसकी पतली, लंबी फलियां होती हैं. इन फलियों का उपयोग कच्चे होने पर सब्जी के तौर पर और पक जाने पर दाल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. लोबिया हरी फलियों, सूखे बीजों, हरी खाद और चारे के लिए भी पूरे भारत में उगाई जाने वाली फसल है. इस पौधे का उपयोग हरी खाद बनाने के लिए बड़े स्तर पर किया जाता है. किसान इसकी खेती करके अच्छी कमाई भी करते हैं. ऐसे में अगर आप भी खेतों में लोबिया उगाना चाहते हैं और उसकी किस्म DC-15 का बीज खरीदना चाहते हैं तो राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर इसका बीज सस्ते में मिल जाएगा.
मौजूदा समय में किसान अलावा अलग-अलग प्रकार की फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. इससे किसानों की बंपर कमाई भी हो रही है. इसलिए किसान बड़े स्तर पर लोबिया की खेती कर रहे हैं. क्योंकि पशुपालन में चारा के लिए भी लोबिया का बहुत डिमांड है. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन लोबिया की DC-15 किस्म का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद कर बंपर कमाई कर सकते हैं. साथ ही इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर भी मंगवा सकते हैं.
DC-15 लोबिया का एक उन्नत किस्म है. यह किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी है और एफिड्स के प्रति सहनशील है इस किस्म की बुवाई बसंत, गर्मी और बारिश, तीनों मौसम में आसानी से की जा सकती है. इसकी फलियों का रंग हल्का हरा और मोटा गूदेदार होता है, जो कि 20 से 22 सेमी लंबा होता है. अगर किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो इससे प्रति हेक्टेयर 10-13 क्विंटल पैदावार मिल सकती है. वहीं, ये किस्म मात्र 75 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाता है.
अगर आप भी लोबिया की उन्नत किस्म DC-15 की खेती करना या अपने घर में लगाना चाहते हैं, तो इस किस्म के 5 किलो बीज का पैकेट फिलहाल 16 फीसदी की छूट के साथ 812 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. साथ ही इस बीच को खरीदने पर एक टी-शर्ट फ्री में मिलेगा. बता दें कि ये ऑफर मात्र 3 जुलाई तक ही है. ऐसे में आप इसे खरीद कर आप आसानी से लोबिया की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
लोबिया की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. खेत समतल और उचित जल निकासी वाला होना चाहिए. खेत को एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से और फिर दो बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करना चाहिए. वहीं, जब खेत पूरी तरह से तैयार हो जाए तब लोबिया की बुवाई करें. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि बुवाई में देरी करने से पैदावार कम होती है क्योंकि फूल आने की अवधि कम हो जाती है. इसकी खेती में पंक्तियों के बीच 45 से 60 सेमी की दूरी रखने पर अधिकतम उपज प्राप्त होती है.