Potato Crop: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले (Hathras) में एक किसान ने अपने आलू के खेत (Potato Crop Cultivation) में कीटनाशक दवा का छिड़काव किया. जिससे उसकी 4 लाख रुपये लागत की फसल झुलस कर पूरी तरह से बर्बाद हो गई. मामला सहपऊ कस्बे के अहेरियाना का है. यहां पीड़ित किसान मोहल्ला अहेरियाना निवासी गीतम सिंह बीते 12 वर्षों से आलू की खेती करते आ रहे हैं. बीते दो दिन पहले गांव के दुकानदार से खतपतवार को जलाने वाली दवा लेकर आए.
दवा के छिड़कने से आलू की पूरी फसल झुलस गई. किसान गीतम सिंह ने इसकी लिखित शिकायत तहसील दिवस में की. किसान तक से बातचीत में पीड़ित किसान गीतम सिंह ने बताया कि 12 बीघा खेत नकद पैसे देकर आलू की फसल के लिए लिया था. जब खेत में आलू उपज आया, तो उसमें उसने खतपतवार उपजने से रोकने और खतपतवार मारने की दवा छिड़क दी. दवा छिड़कने के बाद अचानक आलू ही झुलसने लगा. पीड़ित किसान ने जिला प्रशासन से दवा बेचने वाले दुकानदार एवं दवा बनाने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है.
किसान गीतम सिंह ने आगे बताया कि हर साल हम आलू की खेती से अच्छा मुनाफा कमाते है. इस साल 4 लाख रुपये लागत लगाकर आलू की बुवाई की थी. आलू उपज भी आया था. तभी अगेती और पछेती रोग की दवा गांव में स्थित एक दुकान से दो पैकेट 350 रुपये में खरीदकर लाए, और खेत में इसका छिड़काव कर दिया. वहीं छिड़काव करते ही आलू की पूरी फसल झुलस गई. खेती की सहारे अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले गीतम सिंह मायूस होकर लोक अदालत में अधिकारियों से दुकानदार और दवा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. फिलहाल जिला प्रशासन के अधिकारी जांच पड़ताल कर रहे है.
दरअसल, आलू में सबसे बड़ी समस्या अगेती और पछेती झुलसा रोग की होती है. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. तो इसके लिए हमें पहले से तैयारी करनी होगी. इसके लिए कई सारी अवरोधी किस्में भी हैं. इसलिए अगर आप पहली बार आलू की खेती करने जा रहे हैं तो बुवाई के लिए अवरोधी किस्मों का ही चयन करें. ताकि इन प्रजातियों में बीमारी से लड़ने की क्षमता हो. आलू की फसल में नाशीजीवों (खरपतवारों, कीटों और रोगों) से लगभग 40 से 45 फीसदी का नुकसान होता है. कभी कभी यह नुकसान शत प्रतिशत हो जाता है.आलू की सफल खेती के लिए सबसे ज़रूरी है कि समय से पछेती झुलसा रोग दूर करने का इंतजाम किया जाए. यह रोग फाइटोपथोरा इन्फेस्टेंस नामक कवक के कारण फैलता है. आलू का पछेती अंगमारी रोग बेहद खतरनाक है.
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आयरलैंड का भयंकर अकाल जो साल 1945 में पड़ा था, इसी रोग से आलू की पूरी फसल तबाह हो जाने का नतीजा था. जब वातावरण में नमी और रोशनी कम होती है और कई दिनों तक बरसात या बरसात जैसा माहौल होता है, तब इस रोग का प्रकोप पौधे पर पत्तियों से शुरू होता है. यह रोग 4 से 5 दिनों के अंदर पौधों की सभी हरी पत्तियों को नष्ट कर सकता है. पत्तियों की निचली सतहों पर सफेद रंग के गोले गोले बन जाते हैं, जो बाद में भूरे और काले हो जाते हैं. पत्तियों के बीमार होने से आलू के कंदों का आकार छोटा हो जाता है और उत्पादन में कमी आ जाती है.