किसानों ने खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई की तैयारी शुरू कर दी है. खासतौर पर धान की खेती का वक्त बहुत नजदीक आ गया है. ऐसे में किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या आती है किस्मों का चयन करने की. अक्सर किसान खाद-बीज की दुकानों पर जाते हैं और वहां दुकानदार जिस किस्म को अच्छा बता दे उसे खरीद लेते हैं. इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने कुछ किस्मों की सूची निकाली है जिससे किसानों को बीज के चयन में काफी मदद मिल सकती है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर आपको ज्यादा प्रोटीन वाला चावल चाहिए तो आप सीआर धान-310 को आजमा सकते हैं. इसकी पैदावार सांबा मसूरी से अधिक होने का दावा किया गया है.
राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक द्वारा विकसित यह धान सिर्फ 125 दिन में तैयार हो जाता है. यह ओड़िशा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बुवाई के लिए उपयुक्त है. सामान्य तौर धान की लोकप्रिय किस्मों के पॉलिश किए गए दाने में 7.0-8.0 प्रतिशत प्रोटीन होता है. जबकि सीआर धान में इसकी मात्रा 10.3 प्रतिशत है. किसान इसमें 45 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार ले सकते हैं. अगेती परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है.
इसे भी पढ़ें: बासमती धान की वो किस्में जिनमें नहीं लगेगा रोग, एक्सपोर्ट से होगी बंपर कमाई
अधिक उपज वाली किस्म 'नवीन' में हाई प्रोटीन सामग्री के बायोफोर्टिफिकेशन के माध्यम से सीआर धान-310 को विकसित किया गया है. सीवीआरसी (सेंट्रल वैराइटी रिलीज कमेटी) ने इसे देश में पहली उच्च प्रोटीन चावल किस्म के रूप में जारी किया था. कृषि वैज्ञानिकों ने हमेशा चावल की विभिन्न किस्मों को विकसित करना आवश्यक समझा है. उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार का काम लगातार जारी है. चावल सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों में से एक है, इसलिए देश में इस पर काफी काम हो रहा है.
राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि आम तौर पर चावल के दानों में प्रोटीन की मात्रा 6-8 तक ही होती है. जो कि अन्य अनाजों में से सबसे कम है. इसलिए, गरीब जनसंख्या में कुपोषण है. इसी कमी को पूरा करने के लिए अधिक प्रोटीनयुक्त चावल को विकसित किया गया. वर्ष 2014 के रबी और खरीफ में राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के प्रायोगिक खेत में इसकी खेती की गई. इसमें दाने की गुणवत्ता के साथ प्रोटीन अच्छा था.
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर इस किस्म की औसत पैदावार 4483 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जो कि सांबा मसूरी से 6.81 फीसदी अधिक है. यह किस्म पत्ता प्रध्वंस, भूरा धब्बा, आच्छद विगलन, तना छेदक, गालमिज बायोटाइप और पत्ता मोड़क के प्रति सहिष्णु या मध्यम सहिष्णु है. यानी इसमें इनका असर बहुत कम होता है. इसके दाने मध्यम पतले हैं और लंबी बालियां हैं. यह अर्ध-बौना धान है जिसकी लंबाई 110 सेंटीमीटर है. इसकी कुटाई करने पर इसके चावल में जस्ता (15 पीपीएम) का मध्यम स्तर मिलता है. यह किस्म उन लोगों के लिए पोषण का एक अच्छा स्रोत साबित होगा जो मुख्य रूप से अपने पोषण के लिए चावल पर निर्भर हैं.
इसे भी पढ़ें: जलवायु परिवर्तन के दौर में क्या कृषि क्षेत्र के लिए घातक होगा ICAR में बड़ा बदलाव?