Kisan Tak Summit: भारत में 590 फसलें उगती हैं लेकिन दवाएं मात्र 400, धानुका के एडवाइजर ने दी ये बड़ी जानकारी

Kisan Tak Summit: भारत में 590 फसलें उगती हैं लेकिन दवाएं मात्र 400, धानुका के एडवाइजर ने दी ये बड़ी जानकारी

धानुका के एडवाइजर आनंद ने कंपनी के बारे में बताया कि उसके चेयरमैन एमिरेटस ने बहुत सूझ-बूझ और विजन के साथ धानुका जैसी कंपनी बनाई क्योंकि उन्हें किसानों की मदद करनी थी. धानुका के चेयरमैन आरजी अग्रवाल पहले कपड़े के बिजनेस में थे, लेकिन उन्होंने कृषि क्षेत्र की जरूरतों को देखते हुए उस भरे-पूरे बिजनेस को छोड़कर धानुका एग्रीटेक जैसी कंपनी बनाई. आज उसका परिणाम है कि किसानों को कई तरह के जेनुइन प्रोडक्ट मिल रहे हैं जिससे उनकी उपज बढ़ने के साथ आय में भी वृद्धि हो रही है.

Binod anandBinod anand
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 27, 2024,
  • Updated Dec 27, 2024, 5:05 PM IST

दिल्ली में आयोजित kisan Tak summit 2024 में धानुका एग्रीटेक के एडवाइजर बिनोद आनंद ने अपनी बात रखी. कंपनी के चेयरमैन एमिरेटस आरजी अग्रवाल की जगह पर बिनोद आनंद ने कंपनी की राय रखी. उन्होंने देश में फसलों पर इस्तेमाल होने वाली क्वालिटी दवाओं के कम निर्माण पर चिंता जताई. इस दौरान उन्होंने एक बड़ी जानकारी देते हुए कहा कि भारत जैसे विशाल देश में 590 फसलें उगाई जाती हैं, लेकिन मोलेक्युल (दवा) महज 400 ही रजिस्टर्ड हैं. 

कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए बिनोद आनंद ने कहा, भारत में 590 तरह की फसलें उगाई जाती हैं. लेकिन जब इन पर इस्तेमाल होने वाली दवाओं की बात आती है तो महज 400 दवाएं भी रजिस्टर्ड नहीं हैं. यानी एक फसल के लिए एक दवा भी रजिस्टर्ड नहीं है. उन्होंने बताया कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में इससे ज्यादा दवाएं हैं. आनंद ने कहा कि इन्हीं दवाओं को बनाने के लिए धानुका के चेयरमैन एमिरेटस बड़ी कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि धानुका एग्रीटेक कृषि क्षेत्र की बड़ी कंपनी है जो एग्रो केमिकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड है.

किसानों से अपील

आनंद ने देश के किसानों से एक अपील में कहा कि नकली पेस्टिसाइड की लड़ाई लड़ने के लिए जरूरी है कि वे दवाएं खरीदें तो उसका बिल जरूर लें. बगैर बिल के सामान न खरीदें. बिल पर उन्होंने जोर इसलिए दिया क्योंकि जब ग्राहक किसी चीज की खरीदारी के लिए टैक्स भरता है और उस चीज का बिल लेता है तो फर्जीवाड़े का रिस्क कम होता है. किसान जब इस ट्रेंड को आगे बढ़ाएंगे तो असली प्रोडक्ट के निर्माण और उसकी बिक्री में तेजी आने की संभावनाएं अपने आप बढ़ जाएंगी. वही अगर किसान बिना बिल या कच्चे बिल पर प्रोडक्ट खरीदते हैं तो नकली सामान मिलने या फर्जीवाड़े का खतरा अधिक होता है.

बिनोद आनंद ने धानुका के बारे में बताया कि उसके चेयरमैन एमिरेटस ने बहुत सूझ-बूझ और विजन के साथ धानुका जैसी कंपनी बनाई क्योंकि उन्हें किसानों की मदद करनी थी. धानुका के चेयरमैन आरजी अग्रवाल पहले कपड़े के बिजनेस में थे, लेकिन उन्होंने कृषि क्षेत्र की जरूरतों को देखते हुए उस भरे-पूरे बिजनेस को छोड़कर धानुका एग्रीटेक जैसी कंपनी बनाई. आज उसका परिणाम है कि किसानों को कई तरह के जेनुइन प्रोडक्ट मिल रहे हैं जिससे उनकी उपज बढ़ने के साथ आय में भी वृद्धि हो रही है.

धानुका के बारे में

आपको बता दें कि धानुका देश की अग्रणी एग्री इनपुट कंपनियों में से एक है जिसका नाम कभी फोर्ब्स की लिस्ट में आ चुका है. इस कंपनी के 39 बड़े गोदाम आज कार्यरत हैं और 3 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट निर्माण का काम करती हैं. पूरे देश में इसके 8 से अधिक ब्रांच हैं जबकि 6500 डिस्ट्रिब्यूटर और 75000 डीलर किसानों को अपनी सेवाएं देते हैं. राजस्थान, गुजरात और जम्मू-कश्मीर में इसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट काम कर रही हैं जबकि इसका आरएंडी विभाग गुरुग्राम में है. यह कंपनी अलग-अलग फसलों के लिए कई तरह के कीटनाशक बनाती है.

 

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