जब भी किसान बाजार से खाद खरीदने जाते हैं, तो खाद की बोरी पर अक्सर तीन नंबर लिखे होते हैं, जैसे 10-10-10 या 19-19-19. ये नंबर पौधों के लिए सबसे जरूरी तीन पोषक तत्वों — नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और पोटाश (K) — की मात्रा दर्शाते हैं. इन्हें मिलाकर N-P-K अनुपात कहते हैं, जो फसल के विकास और उपज में अहम भूमिका निभाते हैं. इसमें किसी भी एक पोषक तत्व की कमी हो जाए तो फसल की उपज पर विपरीत असर पड़ता है.
N – नाइट्रोजन (Nitrogen):
पौधों की पत्तियों और हरी टहनियों को बढ़ावा देता है. यह पौधे को हरा-भरा और घना बनाता है. इससे पौधों को बढ़वार मिलती है.
P – फॉस्फोरस (Phosphorus):
फूल और फल लगाने में मदद करता है. जड़ों, फूलों और फलों के विकास के लिए जरूरी है. इसकी कमी से पौधे बौने या ठूंठ रह सकते हैं.
K – पोटाश (Potassium):
पौधे की ताकत और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है. जड़ों को मजबूत करता है और पौधे को सूखे, ठंड और बीमारियों से बचाता है. इसकी कमी से पौधे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं और मर जाते हैं.
नाइट्रोजन (N):
पौधे के शुरुआती चरण में पत्तियां और टहनियां अच्छी तरह बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन युक्त खाद जैसे यूरिया जरूरी है.
फॉस्फोरस (P):
फूल आने के समय फॉस्फोरस युक्त खाद (DAP या सिंगल सुपर फॉस्फेट) देने से अधिक और बेहतर फल लगते हैं.
पोटाश (K):
फल के विकास और पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पोटाश युक्त खाद (MOP या पोटेशियम सल्फेट) उपयोगी है.
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे N-P-K के सही अनुपात को समझकर ही खाद का प्रयोग करें ताकि फसल स्वस्थ और उपज ज्यादा हो. अधिक या कम खाद डालना दोनों ही नुकसानदेह हो सकते हैं. किसान अक्सर ऐसी गलती करते हैं और जरूरी मात्रा में खाद नहीं डालते हैं. इससे फसल अच्छी होने के बजाय खराब होती है, उपज का नुकसान होता है.
किसान अगर केमिकल खाद से बचना चाहते हैं और प्राकृतिक खेती करना चाहते हैं तो वे जैविक खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं. जैविक खाद के प्रयोग से भी किसानों को अधिक उपज मिल सकती है.