काबुली चने की नई किस्‍म पूसा चना 4035, एक्‍सपोर्ट क्‍वालिटी और रोग प्रतिरोधकता के लिहाज से है बढ़‍िया

काबुली चने की नई किस्‍म पूसा चना 4035, एक्‍सपोर्ट क्‍वालिटी और रोग प्रतिरोधकता के लिहाज से है बढ़‍िया

PUSA Chana 4035: नई दिल्ली स्थित ICAR-IARI ने काबुली चने (डबल डॉलर) की नई किस्म पूसा चना 4035 (BG 4035) विकसित की है, यह किस्म 115 दिन में तैयार होती है.

Kabuli Chana Variety PUSA Chana 4035Kabuli Chana Variety PUSA Chana 4035
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 16, 2025,
  • Updated Sep 16, 2025, 6:01 PM IST

नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान- आईएआरआई (ICAR-IARI) ने काबुली चने की एक नई उन्नत किस्म पूसा चना 4035 (BG 4035) विकसित की है. इसे डबल डॉलर चना नाम से भी जाना जाता है. यह किस्म विशेष रूप से मध्य भारत यानी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी राजस्थान के लिए उपयुक्‍त है. ICAR-IARI के अनुसार, यह किस्म मात्र 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसका दाना बड़ा और आकर्षक होता है. संस्‍थान के मुताबिक, पूसा चना 4035 के बीज का औसतन भार 58 ग्राम प्रति 100 दाना (बिना ग्रेड वाले) है.

इस रोग से मिलेगा छुटकारा

यह किस्‍म एक्‍सपोर्ट के लिहाज से काफी अच्‍छी है. पूसा चना 4035 की औसत उपज 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इस नई किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बाजार में बेहतर दाम दिलाने में सक्षम है और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. वहीं, फ्यूजेरियम विल्‍ट रोग के प्रति भी प्रतिरोधी है.

बाजार में दोगुना तक मिलेगा दाम

बाजार में किसानों को सामान्‍य चना के मुकाबले इस किस्‍म से दोगुना दाम मिल सकता है. कृषि‍ वैज्ञानिकों के मुताबि‍क, पूसा चना 4035 किस्‍म किसानों के लिए एक बढ़‍िया विकल्प साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें तेजी से उत्पादन, ज्यादा उपज और उच्च गुणवत्ता वाले दाने की विशेषताएं एक साथ मिलती हैं.

काबुली चने की अन्‍य किस्‍में

मैक्सिकन बोल्ड

यह काबुली चने की एक विदेशी किस्म है, इसे कम उपजाऊ जमीन पर भी उगाया जा सकता है. यह किस्म 90 से 100 दिन में पककर तैयारी होती है. इसके दाने बड़े और सफेद रंग के होते हैं, जो बाजार में ज्यादा पसंद किए जाते हैं.

हरियाणा काबुली नं-1

यह किस्म चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने तैयार की है. इसकी खासियत यह है कि इसमें रोग लगने की संभावना बहुत कम होती है और 110 से 130 दिन में फसल फसल पक जाती है. इसकी पैदावार क्षमता 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

पूसा 3022

पूसा 3022 काबुली चने की किस्‍म सूखा झेलने में सक्षम है, जिसे जीनोमिक असिस्टेड ब्रीडिंग तकनीक से तैयार किया गया है. इसकी खासियत है कि यह बेहतर पैदावार देती है और जल्दी तैयार हो जाती है. फसल को पकने में लगभग 90–95 दिन लगते हैं.

श्वेता (Shweta / ICC-2)

श्वेता काबुली चना एक अल्प अवधि वाली किस्म है, जो 85–90 दिनों में तैयार हो जाती है. इसे ICC-2 के नाम से भी जाना जाता है. इसके दाने मध्यम आकार के होते हैं. इस किस्म से लगभग 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन लिया जा सकता है.

काक-2

काक-2 किस्म मध्यम अवधि की होती है और इसे पकने में 110 से 120 दिन लगते हैं. इस किस्म में रोग लगने की समस्या कम पाई जाती है. इसका औसत उत्पादन 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है. इसके दाने सामान्य आकार के होते हैं.

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