
ओडिशा जैसे आलू प्रधान राज्य में किसी-किसी जिले में आलू के बीज की कमी मामला सामने आ रहा है. ताजा मामला केंद्रपाड़ा जिले का है जहां आलू के बीजों की भारी कमी बुवाई के मौसम से पहले स्थानीय किसानों के लिए एक गंभीर चिंता का कारण बन गई है. अच्छी क्वालिटी के बीजों के अभाव में, आलू किसानों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि किसानों का आरोप है कि बागवानी विभाग इस संकट को हल करने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है.
मरसाघई ब्लॉक के अंतर्गत सिलिपुर गांव के आलू किसान रणधीर बेहरा ने 'दि न्यू इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, "मैंने नदी किनारे अपनी दो एकड़ जमीन पर आलू उगाने की योजना बनाई थी. लेकिन अधिकारियों ने बीज नहीं दिए जिससे मुझे बहुत बड़ा झटका लगा है." उन्होंने आरोप लगाया कि जिला बागवानी अधिकारी समय पर आलू के बीज उपलब्ध कराने का प्रयास नहीं कर रहे हैं.
सिंगिरी गांव के एक अन्य किसान परिखिता राउत ने कहा कि बुवाई के मौसम में क्वालिटी बीजों की मांग बढ़ गई है. लेकिन इस कमी ने उन किसानों को प्रभावित किया है जो अब सरकार से दखल देने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया, "बीजों की कमी के कारण, कई किसान खुले बाजार से अधिक कीमत देकर घटिया बीज खरीदने को मजबूर हैं."
केंद्रपाड़ा के बागवानी सहायक निदेशक देवदास दत्ता ने कहा, "हमें ओडिशा बीज निगम से अभी तक बीज नहीं मिले हैं. बीज मिलने के बाद, हम उन्हें किसानों को उपलब्ध कराएंगे."
दत्त ने आगे बताया कि बागवानी विभाग ने किसानों को 42.25 रुपये प्रति किलो की दर से प्रमाणित और सब्सिडी वाले बीज उपलब्ध कराने का फैसला किया है. किसानों को बीजों पर 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी. उन्होंने कहा, "इस साल, किसान जिले में नदी किनारे लगभग 700 हेक्टेयर जमीन पर आलू उगाएंगे. एक हेक्टेयर जमीन पर आलू उगाने के लिए एक किसान को 15 क्विंटल बीज की जरूरत होती है. हमारा विभाग 375 हेक्टेयर जमीन पर आलू की खेती के लिए किसानों को बीज उपलब्ध कराएगा."
आमतौर पर, ज्यादातर किसान नवंबर के दूसरे हफ्ते से लेकर आखिरी हफ्ते तक आलू उगाते हैं. अक्टूबर में बेमौसम बारिश के कारण, जमीन का एक बड़ा हिस्सा अभी भी गीला है. इसलिए, किसान इस साल नवंबर के आखिरी हफ्ते में अपने खेतों में आलू के बीज बोएंगे, दत्ता ने बताया.
ओडिशा में आलू की खेती बड़े पैमाने पर होती है और इसकी खपत भी बहुत अधिक है. यहां तक कि मांग पूरी करने के लिए ओडिशा सरकार को पश्चिम बंगाल सरकार से आलू मंगाना पड़ता है. लेकिन पिछली बार मामला गंभीर हो गया था क्योंकि बंगाल सरकार ने सप्लाई रोक दी थी.
बंगाल सरकार का कहना था कि उसके यहां भी आलू की मांग अधिक है और दाम बढ़ने से बाजार में इसकी आपूर्ति प्रभावित हुई है. लिहाजा वह अपना स्टॉक किसी दूसरे राज्य में नहीं भेज सकती. इस गंभीरता को देखते हुए ओडिशा में कहीं इस बार भी आलू की कमी न पड़ जाए, इसके लिए सरकार तैयारी में है. पर उसके पहले बीजों की कमी सरकारी प्रयासों पर पानी फेर सकता है.