नवंबर के पहले हफ्ते में खाद की बिक्री बढ़ी (सांकेतिक तस्वीर)देश में रबी सीजन की बुवाई के जोर पकड़ते ही यूरिया और डीएपी की मांग के सभी अनुमान पीछे छूट गए हैं. नवंबर के पहले हफ्ते में इन दोनों प्रमुख उर्वरकों की बिक्री दोगुने से भी अधिक दर्ज की गई, जिससे संकेत दिखाई पड़ रहे हैं कि नवंबर-दिसंबर के दौरान बाजार पर असामान्य दबाव बन सकता है. पिछले साल रबी में यूरिया और डीएपी की कुल बिक्री के लगभग आधा हिस्से की खपत इन्हीं दो महीनों में हुई थी और इस बार शुरुआती रुझान बताते हैं कि स्थिति और तंग हो सकती है.
'बिजलेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 नवंबर 2025 को उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार यूरिया का शुरुआती स्टॉक 50.54 लाख टन रहा, जो पिछले साल इसी तारीख को 68.16 लाख टन था. वहीं, डीएपी के पास पिछले साल की तुलना में बेहतर स्टॉक है, 11.52 लाख टन की जगह इस बार 19.05 लाख टन उपलब्ध है. एमओपी 7.33 लाख टन और कॉम्प्लेक्स उर्वरक 36.21 लाख टन के शुरुआती भंडार के साथ सीजन की शुरुआत हुई है.
नवंबर महीने के लिए अनुमानित मांग देखें तो यूरिया 43.54 लाख टन, डीएपी 17.19 लाख टन, एमओपी 3.35 लाख टन और कॉम्प्लेक्स 18.85 लाख टन की जरूरत रहने का अनुमान है. उद्योग जगत का मानना है कि यूरिया को छोड़कर बाकी उर्वरकों में स्टॉक नवंबर की मांग को संभालने लायक है, हालांकि घरेलू उत्पादन और आयात से आने वाली ताजा खेप इस उपलब्धता को और बढ़ाएगी.
इसके उलट कृषि विशेषज्ञों का मत है कि सप्लाई मैनेजमेंट में इतने भर से सुधार नहीं होगा. खरीफ सीजन में कई राज्यों में शिकायतें बढ़ी दिखीं, क्योंकि कृषि मंत्रालय और उर्वरक मंत्रालय के बीच समन्वय की कमी साफ देखने को मिली. विशेषज्ञों का कहना है कि उर्वरक मंत्रालय समय पर जरूरी सूचनाएं साझा नहीं कर पा रहा है और कृषि मंत्रालय पक्के आकलन नहीं दे पा रहा है. पिछले सीजन में धान और मक्का के तहत क्षेत्र बढ़ने से यूरिया खपत में अप्रत्याशित उछाल आ गया था, जिसे लेकर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी किसानों की शिकायतें सुननी पड़ी थीं.
अब जब गेहूं के दाम पिछले साल कई जगह एमएसपी से ऊपर मिले तो उम्मीद है कि इस बार गेहूं का रकबा और बढ़ेगा. शुरुआती बुवाई रिपोर्ट भी इसी ओर इशारा कर रही है. कई क्षेत्रों में धान की जल्दी कटाई होने से बुवाई गति पकड़ गई है. अगर गेहूं क्षेत्र बढ़ता है तो अन्य फसलों के क्षेत्र में कमी आने की संभावना बनती है और इस बदलाव के साथ उर्वरक मांग का अनुमान पहले से तय करना बेहद जरूरी हो जाता है.
नवंबर 1 से 7 के बीच बिक्री के आंकड़े देखें तो यूरिया 2.58 लाख टन से बढ़कर 6.18 लाख टन, डीएपी 1.43 लाख टन से बढ़कर 3.49 लाख टन, एमओपी 0.27 लाख टन से बढ़कर 0.49 लाख टन और कॉम्प्लेक्स उर्वरक 1.60 लाख टन से बढ़कर 3.10 लाख टन हो गए. पूरे देश में अब तक रबी का कुल क्षेत्रफल 27 प्रतिशत की छलांग के साथ 130 लाख हेक्टेयर पार कर गया है, जिसमें गेहूं की बोआई लगभग 22.7 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है.
पिछले रबी सीजन की तरह इस बार भी उर्वरक की मांग चरम पर है. इसी को ध्यान में रखते हुए 13 नवंबर को उर्वरक मंत्रालय ने जानकारी दी कि अप्रैल से अब तक 3.17 लाख से ज्यादा निरीक्षण और छापेमारी कर सप्लाई चेन पर निगरानी रखी गई है और रबी के दौरान ये अभियान लगातार जारी है. मंत्रालय का दावा है कि सरकार मौजूदा सीजन में भी किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह तैयार है.
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