Sugarcane Farming: गन्ने के अच्छे जमाव के लिए पहली सिंचाई कब दें, खरपतवार नियंत्रण के लिए कौन सी दवा है बेस्ट?

Sugarcane Farming: गन्ने के अच्छे जमाव के लिए पहली सिंचाई कब दें, खरपतवार नियंत्रण के लिए कौन सी दवा है बेस्ट?

यूपी के पश्चिमी क्षेत्रों में गन्ने की फसल को उगाने के लिए 1500 से 1750 एमएम पानी की जरूरत होती है. इसका आधा हिस्सा बारिश के पानी से मिल जाता है जबकि बाकी का 50 परसेंट हिस्सा सिंचाई के जरिये देना होता है. यूपी के पश्चिमी क्षेत्रों में गन्ने में 7-8 सिंचाई की जरूरत होती है. 7-8 सिंचाई में गन्ने की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है. इसके साथ ही बुवाई के 20-30 दिनों के बाद एक हल्की सिंचाई जरूरी होती है ताकि पौधों का सही ढंग से जमाव हो सके.

 उत्तर प्रदेश में शुरू हुआ गन्ना पेराई सत्र (File Photo) उत्तर प्रदेश में शुरू हुआ गन्ना पेराई सत्र (File Photo)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 18, 2025,
  • Updated Feb 18, 2025, 12:34 PM IST

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में अभी गन्ने की तेजी से बुवाई चल रही है. बुवाई का काम 15 फरवरी से शुरू हुआ है जो 30 मार्च तक चलेगा. बुवाई के वक्त 28 से 35 डिग्री का तापमान चाहिए होता है, जो अभी मिल रहा है. अगर किसान देर से बसंतकालीन गन्ने की बुवाई करना चाहें तो वे अप्रैल से लेकर 15 मई तक यह काम कर सकते हैं. बुवाई के बाद सबसे जरूरी काम सिंचाई का होता है. अगर नए जमे पौधों को उचित पानी नहीं मिले तो वे ठीक से जम नहीं पाएंगे. ऐसे में हमें जानना जरूरी है कि कितने दिनों पर गन्ने की सिंचाई करें.

यूपी के पश्चिमी क्षेत्रों में गन्ने की फसल को उगाने के लिए 1500 से 1750 एमएम पानी की जरूरत होती है. इसका आधा हिस्सा बारिश के पानी से मिल जाता है जबकि बाकी का 50 परसेंट हिस्सा सिंचाई के जरिये देना होता है. यूपी के पश्चिमी क्षेत्रों में गन्ने में 7-8 सिंचाई की जरूरत होती है. 7-8 सिंचाई में गन्ने की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है. इसके साथ ही बुवाई के 20-30 दिनों के बाद एक हल्की सिंचाई जरूरी होती है ताकि पौधों का सही ढंग से जमाव हो सके.

गन्ने में कैसे करें खरपतवार नियंत्रण

आइए अब जान लेते हैं कि गन्ने की फसल में खरपतवार नियंत्रण कैसे करना है. गन्ने में खरपतवार से बहुत नुकसान होता है. बुवाई से लेकर मध्य जून तक गन्ने पर खरपतवार का खराब असर देखा जाता है. प्रयोगों से पता चला है कि खरपतवार के कारण गन्ने की उपज 40 प्रतिशत तक कम हो जाती है. इस भारी नुकसान से बचने के लिए किसानों को खरपतवार रोकने के सभी उपाय करने चाहिए. इसमें यांत्रिक विधि से लेकर रासायनिक विधि तक आजमा सकते हैं.

यांत्रिक विधि में बताया गया है कि हर सिंचाई के बाद ओट आने पर कुदाल या कल्टीवेटर से गुड़ाई करनी चाहिए. खरपतवार नियंत्रण के लिए गन्ने की पंक्तियों के बीच गन्ने की सूखी पत्तियों की 7 से 10 सेमी मोटी परत बिछाना लाभदायक होता है. बारिश के दिनों में पत्तियां कंपोस्ट खाद बनाने का काम करती हैं. अगर सूखी पत्तियों में कोई कीट दिखे तो कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए.

गन्ने में इन दवाओं का करें स्प्रे

गन्ने के खेत में खरपतवार अधिक दिख रहे हों और उसे हटाने के लिए मजदूरों की कमी हो तो दवा का स्प्रे कर सकते हैं. इस स्थिति में किसान एट्रॉजीन 2.24 किग्रा प्रति हेक्टेयर और 2-4डी, 2.24 किग्रा प्रति हेक्टेयर खरपतवारनाशक रसायनों का छिड़काव पर्याप्त नमी की दशा में 1125 लीटर पानी में घोलकर गन्ना बुवाई के क्रमशः 7 से 15 दिनों और 45 से 60 दिनों के अंदर करना चाहिए.

 

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