भारत को मिलेगी सस्ती और समय पर खाद! IFFCO बनाएगा विदेशी प्लांट

भारत को मिलेगी सस्ती और समय पर खाद! IFFCO बनाएगा विदेशी प्लांट

IFFCO भारतीय किसानों को सस्ते और भरोसेमंद फर्टिलाइजर देने के लिए श्रीलंका, जॉर्डन और सेनेगल में नए फर्टिलाइजर प्लांट लगाने की योजना बना रहा है. इन देशों में रॉक फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड जैसे ज़रूरी कच्चे माल का भरपूर भंडार है. विदेशों में प्लांट लगाने से भारत के लिए DAP और दूसरे फर्टिलाइजर की स्थिर सप्लाई सुनिश्चित होगी और प्रोडक्शन कॉस्ट भी कम होगी.

विदेशों में खाद उत्पादन से भारत होगा मज़बूत (AI Generated Image)विदेशों में खाद उत्पादन से भारत होगा मज़बूत (AI Generated Image)
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Dec 11, 2025,
  • Updated Dec 11, 2025, 1:41 PM IST

भारत में खेती अच्छी बनाने के लिए खाद बहुत जरूरी होती है. IFFCO देश की सबसे बड़ी खाद बनाने वाली संस्था है. अब यह विदेशों में नए कारखाने लगाने की योजना बना रही है, ताकि भारत को हमेशा जरूरी खाद मिलती रहे और किसानों को कोई मुश्किल न हो. आज दुनिया में खाद बनाने के लिए जरूरी कच्चा माल, जैसे रॉक फॉस्फेट, आसानी से नहीं मिल रहा है. कई देशों ने इसका निर्यात भी कम कर दिया है. ऐसे में IFFCO का मानना है कि अगर उन्हीं देशों में कारखाने लगाए जाएं जहां यह कच्चा माल बहुत मिलता है, तो भारत को अच्छी गुणवत्ता वाला कच्चा माल समय पर मिल सकेगा.

श्रीलंका में नया प्लांट

IFFCO श्रीलंका में एक नया कारखाना लगाने की सोच रहा है. श्रीलंका में बहुत अच्छा रॉक फॉस्फेट मिलता है, जिससे डीएपी और फॉस्फोरिक एसिड जैसी खाद बनाई जाती है. इसी वजह से श्रीलंका को एक अच्छे विकल्प के रूप में देखा जा रहा है.

जॉर्डन में क्षमता बढ़ाने की योजना

जॉर्डन में IFFCO का पहले से ही एक बड़ा कारखाना है. अब वहां खाद बनाने की क्षमता 5 लाख टन से बढ़ाकर 10 लाख टन करने की योजना है. इससे भारत को और ज्यादा खाद मिल पाएगी और मांग आसानी से पूरी हो सकेगी.

सेनेगल में भी विस्तार की तैयारी

सेनेगल में IFFCO की थोड़ी हिस्सेदारी पहले से है. अब संस्था यहां या तो ज्यादा हिस्सेदारी खरीदना चाहती है या फिर नया कारखाना लगाना चाहती है. सेनेगल भी रॉक फॉस्फेट से भरपूर है, इसलिए भारत के लिए यह एक अच्छा विकल्प बन सकता है.

IFFCO के MD की राय

IFFCO के मैनेजिंग डायरेक्टर के. जे. पटेल ने कहा कि आज अच्छी गुणवत्ता वाला कच्चा माल मिलना मुश्किल हो रहा है. कभी कीमतें बढ़ जाती हैं तो कभी माल मिलने में देरी होती है. इसलिए जहां यह कच्चा माल ज्यादा मात्रा में मिलता है, वहीं खाद बनाने के कारखाने लगाना एक बेहतर समाधान है.

भारत की खाद जरूरतें

भारत में रॉक फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड जैसे कच्चे माल का उत्पादन नहीं होता. इसलिए सब कुछ बाहर से मंगाया जाता है. भारत को हर साल लगभग 10–11 लाख टन डीएपी की जरूरत पड़ती है, जिसमें से लगभग आधा हिस्सा विदेशों से आयात किया जाता है. ऐसे में विदेशों में कारखाने लगाना भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

बढ़ती कीमतों की चुनौती

दुनिया में कई देशों में चल रहे विवाद और तनाव की वजह से रॉक फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड की कीमतें बढ़ गई हैं. इससे भारत में डीएपी बनाना भी महंगा हो गया है. अगर भारत को समय पर और सस्ती कीमत पर कच्चा माल मिले, तो खाद की कीमतें भी नियंत्रण में रहेंगी.

IFFCO का सालाना प्रदर्शन

वित्त वर्ष 2025 में IFFCO ने 41,244 करोड़ रुपये की कमाई की और 2,823 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. इस साल संस्था ने 9.31 लाख टन खाद बनाई और 11.38 लाख टन बेची. इसके अलावा 45.6 मिलियन बोतल नैनो खाद बनाई गई, जिनमें से 36.5 मिलियन बोतलें किसानों को बेची गईं.

IFFCO की विदेशों में खाद कारखाने लगाने की यह योजना भारत के किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होगी. इससे भारत को अच्छी, सस्ती और समय पर खाद मिल सकेगी. खेती बेहतर होगी और किसानों को कम परेशानी होगी.

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