पशुपालन करने वाले पशुओं की लगभग सभी जरूरतें पूरी कर लेते हैं, लेकिन उनके सामने हरे चारे की समस्या हमेशा बनी रहती है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी फसल की जानकारी देंगे, जिससे महीनों तक चारे का झंझट खत्म हो जाएगा. दरअसल, इस चारा फसल का नाम जई है. जई की खेती मुख्य रूप से हरे चारे और पशुओं के दाने के लिए की जाती है. इसके दाने में प्रोटीन, आयरन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. साथ ही पशुओं को ये चारा खिलाने से उनके दूध में बढ़ोतरी भी होती है. ऐसे में अगर आप भी पशुओं को खिलाने के लिए बरसीम की खेती करना चाहते हैं तो नीचे दी गई जानकारी की सहायता से इसके बीज मंगवा सकते हैं.
पशुपालकों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन पोषक तत्वों से भरपूर और सेहतमंद जई की 'Kent' किस्म के बीज बेच रहा है. इस चारे की बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों के लिए कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज आसानी से मिल जाएंगे. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं.
Kent जई की एक खास किस्म है. ये किस्म भारत के सभी इलाकों में उगाने योग्य है. इसके पौधे का औसतन कद 75-80 सेमी. होता है. यह किस्म कुंगी, भुरड़ और झुलस रोग की प्रतिरोधक है. इसकी चारे के तौर पर औसतन पैदावार 210 क्विंटल प्रति एकड़ है.
अगर आप भी अपने पशुओं के लिए जई की खेती करना चाहते हैं और बीज खरीदना चाहते हैं तो 10 किलो का पैकेट फिलहाल 22 फीसदी छूट के साथ 700 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से अपने पशुओं को संतुलित आहार वाली जई का चारा खिला सकते हैं.
रबी मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में जई का एक मुख्य स्थान है.जई की खेती गेहूं की खेती की तरह ही की जाती है. लेकिन इसको हरे चारे के रूप में उपयोग में लेने के लिए पकने से पहले ही काट लिया जाता है. बता दें कि जई की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए बेस्ट माना जाता है. खेत की जई फसल का अच्छा अंकुरण प्राप्त करने के लिए खेत की अच्छे से तैयारी करना जरूरी होता है, इसके लिए खेत में देशी हल से दो-तीन बार जताई करें या फिर एक बार कल्टीवेटर चलाने के बाद दो बार हैरो चलाए. फिर बीज की बुवाई कर दें.