Fertiliser Crisis: किसानों के साथ खाद कंपनियों की मनमानी, संसद में उठा मामला...सरकार ने क्या दिया जवाब?

Fertiliser Crisis: किसानों के साथ खाद कंपनियों की मनमानी, संसद में उठा मामला...सरकार ने क्या दिया जवाब?

पिछले दिनों उर्वरकों की जबरन बिक्री से जुड़ा मामले पर सवाल पूछे गए. शिवसेना (UBT) के अहमदनगर से सांसद भाऊसाहेब राजाराम वाकचौरे ने सरकार से पूछा था कि क्या उर्वरक कंपनियां यूरिया और डीएपी के साथ बाकी उत्पाद भी जबरन डीलर्स को देती हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है? इसपर राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि उर्वरकों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु घोषित किया गया है.

क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 15, 2025,
  • Updated Dec 15, 2025, 9:42 AM IST

इस समय संसद का शीतकालीन सत्र जारी है और कई मसलों के बीच ही इस बार खाद की कालाबाजारी का मामला भी सदन में गूंज रहा है. पिछले दिनों इसी मसले से जुड़े एक सवाल जवाब में सरकार की तरफ से बताया गया है कि उसने खाद कंपनियों की तरफ से हो रही मनमानी को लेकर क्‍या कदम उठाया है. पिछले ही हफ्ते सरकार की तरफ से सदन में बताया गया था कि उसने अनियमितताओं के चलते खाद कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच हजार से ज्‍यादा कंपनियों के लाइसेंस कैंसिल कर दिए थे. 

आवश्‍यक वस्‍तु है खाद 

दरअसल संसद में पिछले दिनों उर्वरकों की जबरन बिक्री से जुड़ा मामले पर सवाल पूछे गए. शिवसेना (UBT) के अहमदनगर से सांसद भाऊसाहेब राजाराम वाकचौरे ने सरकार से पूछा था कि क्या उर्वरक कंपनियां यूरिया और डीएपी के साथ बाकी उत्पाद भी जबरन डीलर्स को देती हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है? इस सवाल के जवाब में रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि उर्वरकों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु घोषित किया गया है. यह उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के तहत नोटिफाइड हैं.  

कार्रवाई का पूरा अधिकार 

अनुप्रिया पटेल ने बताया कि इस कानून के तहत राज्य सरकारों को कालाबाजारी और ज्‍यादा कीमत वसूली में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है. सरकार ने साफ किया कि उर्वरकों की कालाबाजारी या अधिक कीमत वसूले जाने से जुड़ी जो भी शिकायतें उर्वरक विभाग को मिलती हैं, उन्हें संबंधित राज्य सरकारों को भेजा जाता है ताकि आवश्यक वस्तु अधिनियम और उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत उचित कार्रवाई की जा सके. 

टैगिंग पर सख्‍त सरकार 

इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा कि उर्वरकों के साथ बाकी उत्पादों की टैगिंग या बंडलिंग न करने के लिए भी किया जाता है. इस सिलसिले में राज्य सरकारों को नियमित तौर पर चिट्ठी लिखकर मौजूदा नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया जाता है. मंत्रालय ने बताया कि उर्वरक कंपनियों ये निर्देश भी साफतौर पर दिए गए हैं कि वो यूरिया और डीएपी के साथ बाकी उत्पादों को जबरन जोड़कर बेचने जैसी गतिविधियों में शामिल न हों. सरकार का कहना है कि किसानों और विक्रेताओं के हितों की रक्षा के लिए नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जा रहा है.

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