सूर्य देवता आज से रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर गए हैं. इसके साथ ही किसान हल-बैल और ट्रैक्टर लेकर खेतों में उत्तर गए हैं. बिहार, झारखंड और ओडिशा सहित कई राज्यों में किसानों ने धान की नर्सरी तैयार करने के लिए बीजों की बुवाई शुरू कर दी है. लेकिन कई ऐसे किसान भी हैं, जो धान की किस्मों को लेकर भ्रम में पड़े हुए हैं. आखिर वे अपने खेत में नर्सरी तैयार करने के लिए धान की किस वैरायटी की बुवाई करें, ताकि बंपर पैदावार मिले. लेकिन उन किसानों को अब चिंता करने की बात नहीं है. आज हम धान की ऐसी बेहतरीन किस्म के बारे में बात करेंगे, जिसकी बुवाई करने पर कम लागत में अच्छी उपज मिलेगी.
दरअसल, हम जिस किस्म के बारे में बात करने जा रहे हैं, उसका नाम पूसा बासमती 1718 हैं. अगर किसान किस्म की बीज खरीदना चाहते हैं और इसकी खेती करना चाहते हैं तो आप नीचे दी गई जानकारी की मदद से धान के बीज ऑनलाइन अपने घर पर मंगवा सकते हैं.
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन धान की उन्नत किस्म पूसा बासमती 1718 का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज भी आसानी से मिल जाएंगे. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं.
पूसा बासमती 1718 किस्म को 2017 में तैयार किया गया था. ये किस्म सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त किस्म मानी जाती है. यह 136-138 दिनों में पक कर तैयार होने वाली किस्म है. वहीं इसकी औसत उपज 46 से 48 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म के दाने दिखने में अधिक आकर्षक लंबे और पतले होते हैं. वहीं बात करें इस किस्म की खासियत की तो ये न गिरने वाली, और पकने के समय दाने न झड़ने वाले गुण के साथ एक नई बासमती चावल की किस्म है. इस किस्म की सुगंध भी बेहद आकर्षक है.
अगर आप भी पूसा बासमती 1718 उन्नत किस्म की खेती करना चाहते हैं तो इस किस्म की खेती कर सकते हैं. इसका 10 किलो ग्राम का पैकेट फिलहाल 33 फीसदी छूट के साथ 920 रुपये में ऑनलाइन मिल जाएगा. ऐसे में आप इस बीज को घर बैठे ऑनलाइन मंगवा सकते हैं.
भारत में धान की खेती करने वाले राज्यों की सूची की बात करें तो इसमें पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और असम राज्य शामिल हैं. ये राज्य मिलकर भारत में धान की अधिकांश खेती में अपना अहम योगदान देते हैं. वहीं भारत में धान की खेती का स्थान, जलवायु, मिट्टी के प्रकार, पानी की उपलब्धता और अन्य स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर की जाती है.