इस साल मॉनसून के जल्दी आगमन के चलते किसान जल्दी बुवाई पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन कई जगहों पर किसानों को धोखे का सामना करना पड़ रहा है, क्याेंकि उन्होंने जो बीज खरीदकर बोए हैं, वो अंकुरित नहीं हो रहे हैं. इससे उनकी मेहनत पर पानी फिर गया है और साथ ही आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में कुछ जगहों पर सोयाबीन के बीजों के साथ ऐसी समस्या देखने को मिली थी. वहीं, ऐसा ही मामला कर्नाटक के धारवाड़ जिले में सामने आया है, जहां किसानों ने कुछ निजी फर्मों से मक्का के बीज खरीदे थे, लेकिन अब उनमें अंकुरण नहीं होने की शिकायत कर रहे हैं.
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों का कहना है कि उनके द्वारा बोए गए लगभग 50 प्रतिशत बीज अंकुरित नहीं हुए. कृषि विभाग कलघाटगी तहसील के किसानों की ओर से ऐसी घटनाएं रिपोर्ट करने के बाद विशेषज्ञों को कारणों की जांच करने के लिए आमंत्रित कर रहा है. वहीं, कुछ किसान कह रहे हैं कि संभव है कि भारी बारिश के कारण अंकुरण की प्रक्रिया पर असर पड़ा है.
कलघाटगी तहसील के हुलम्बी, बेगुर और मुत्तगी के कई किसानों ने कहा कि उन्होंने तबकाडा होन्नाल्ली और धुम्मावद में रैयत संपर्क केंद्र से बीज खरीदकर बोए थे. लेकिन बिजाई के 20 दिन बाद भी अंकुरण नहीं हुआ. इससे किसानों के बीज, खाद और जुताई पर खर्च किए हजारों रुपये बर्बाद हो गए. रिपोर्ट के मुताबिक, धारवाड़ तहसील के देवर हुबली के किसान श्रीशैल होंगल ने अपनी समस्या बताई.
किसान ने आरोप लगाया कि इस क्षेत्र में मुख्यत: गन्ने की खेती होती है, उनके गांव और आसपास के गांवों में सिर्फ करीबन 15 प्रतिशत किसान ही मक्का की खेती करते हैं, इसलिए संख्या कम होने के कारण उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता. किसान ने कहा कि उन्हाेंने 15 दिन पहले मक्का की बिजाई की थी, लेकिन अब तक बीज अंकुरित नहीं हुए हैं.
वहीं, कुंडागोल तहसील के कुबिहाल गांव के प्रगतिशील किसान रामप्पा ने भी अपनी परेशानी बताई. उन्होंने कहा कि पहली बार बोने पर उनके खेत में भी मक्का के बीज अंकुरित नहीं हुए थे, इसके बाद उन्होंने दोबारा उसी कंपनी के बीज दो हफ्ते पहले बोए और वो उग गए. उन्होंने कहा कि पहले हमें लगा कि भारी बारिश के चलते मिट्टी सख्त होने के कारण बीज अंकुरित नहीं हुए. वहीं, जब दूसरी बार उसी कंपनी के बीज बोए, तो उनमें अच्छे से अंकुरण हाे गया. वहीं, मामले को लेकर कलघाटगी के कृषि सहायक निदेशक चन्नप्पा अंगदी ने तहसील में 50 प्रतिशत मक्का की फसल अंकुरित नहीं होने की बात से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों में ही ऐसी घटनाएं दर्ज की गई हैं. बेगुर के किसानों से शिकायत मिलने पर कृषि अधिकारियों और बीज कंपनी के अधिकारियों ने वहां का दौरा कर समस्या देखी. लेकिन, यह मामला बहुत तकनीकी है और हम बीज कंपनी के स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हैं. इसलिए, हमने कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय धारवाड़ (यूएएसडी) के विस्तार निदेशक से क्षेत्र में जांच के लिए विशेषज्ञों को भेजने का आग्रह किया है. वहीं, धारवाड़ के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक मंजूनाथ अंतरवल्ली ने कहा कि कलघाटगी तहसील से किसानों ने बीज अंकुरित न होने की शिकायत की है. यूएएसडी से विशेषज्ञों का एक पैनल जल्द ही क्षेत्र का मुआयना करेगा. रिपोर्ट मिलने पर आगे की कार्रवाई तय होगी.