Fertilizer Rule: कृषि मंत्रालय ने 40 साल पुराने उर्वरक नियमों में क्‍या बदलाव, जानें इसके बारे में 

Fertilizer Rule: कृषि मंत्रालय ने 40 साल पुराने उर्वरक नियमों में क्‍या बदलाव, जानें इसके बारे में 

Fertilizer Rule: कृषि मंत्रालय के उर्वरक संबंधी इस नए आदेश का मकसद बायोस्टिमुलेंट्स, माइक्रोबियल फॉर्मूलेशन और बायोकेमिकल उर्वरकों के लिए नए स्‍टैंडर्ड लागू करके फसल उत्पादकता को बढ़ावा देना है. साथ ही मंत्रालय इस फैसले से टिकाऊ कृषि को भी प्रोत्साहित करना चाहता है. 

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क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Jun 17, 2025,
  • Updated Jun 17, 2025, 1:49 PM IST

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने पिछले दिनों फसल उत्पादकता को बढ़ाने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के मकसद से एक अहम फैसला लिया है. मंत्रालय ने उर्वरक (अकार्बनिक, जैविक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश, 1985 में एक बड़ा संशोधन लागू किया है. उर्वरक (अकार्बनिक, जैविक या मिश्रित) (नियंत्रण) चौथा संशोधन आदेश, 2025 के तौर पर जाना जाने वाला अपडेटेड ऑर्डर बायोस्टिमुलेंट्स, माइक्रोबियल फॉर्मूलेशन और बायोकेमिकल उर्वरकों के लिए विस्तृत नियमों के तहत है. 

फसल उत्‍पादकता को बढ़ावा देना 

कृषि मंत्रालय के उर्वरक संबंधी इस नए आदेश का मकसद बायोस्टिमुलेंट्स, माइक्रोबियल फॉर्मूलेशन और बायोकेमिकल उर्वरकों के लिए नए स्‍टैंडर्ड लागू करके फसल उत्पादकता को बढ़ावा देना है. साथ ही मंत्रालय इस फैसले से टिकाऊ कृषि को भी प्रोत्साहित करना चाहता है. जो परिर्वतन इनमें किए गए हैं उनमें सबसे अहम है ह्यूमिक एसिड, फुल्विक एसिड और सी-वीड्स (समुद्री शैवाल) बेस्‍ड बायोस्टिमुलेंट्स के लिए सटीक स्‍पेशिफिकेशंस को शामिल करना है. ये नए नियम कई फसलों के लिए स्वीकार्य कंपोजिशंस, इनग्रीडिएंट्स और डोज से जुड़ी गाइडलांइस को लेकर आना. उदाहरण के लिए ह्यूमिक एसिड 6 फीसदी (लिक्विड), इसमें लियोनार्डाइट से मिले कम से कम 6 प्रतिशत पोटेशियम ह्यूमेट होना चाहिए. प

पत्तियों पर करें छिड़काव 

ह्यूमिक-फुल्विक एसिड 76 प्रतिशत (पाउडर): इसमें डेक्सट्रोज मोनोहाइड्रेट जैसे स्टेबलाइजर्स के साथ-साथ ह्यूमिक और फुल्विक एसिड का बैलेंस्‍ड मिक्‍स होना चाहिए. मंत्रालय ने परिभाषित किया है कि टमाटर के लिए 1.25 लीटर/हेक्टेयर पर पत्तियों पर छिड़काव और मिर्च के लिए 30 किलोग्राम/हेक्टेयर पर इसका मिट्टी पर छिड़काव होना चाहिए. 

बदलाव के तहत एस्कोफिलम नोडोसम और कप्पाफाइकस अल्वारेजी जैसी प्रजातियों से सी-वीड्स अर्क के लिए भी स्‍टैंडर्ड तय कर दिए गए हैं. ये एल्गिनिक एसिड के स्तर, कार्बनिक कार्बन और पीएच की तरफ ध्‍यान दिलाते हैं. इन्हें ककड़ी, धान और बैंगन जैसी फसलों के लिए मंजूर किया जाता है जिसमें खास तौर पत्तियों और मिट्टी पर छिड़काव की दर होती है. 

सुधरेगी फसल की पैदावार 

स्पिरुलिना और अधातोडा वासिका समेत बोटैनिकल एक्‍स्‍ट्रैक्‍ट भी नए नियमों के तहत हैं. उनकी प्रोटीन सामग्री, घुलनशीलता और प्रति फसल उपयोग अब स्पष्ट रूप से परिभाषित किए गए हैं. वहीं पहली बार, प्रोटीन हाइड्रोलिसेट्स और अमीनो एसिड-बेस्‍ड उर्वरक -जो पौधों और जानवरों दोनों से मिलते हैं रेगुलाइज किए गए हैं. इस नीति में बदलाव से मंत्रालय को उम्‍मीद है कि फसल की पैदावार में सुधार होगा, पारंपरिक उर्वरकों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सकेगा और साथ ही भारत के ऑर्गेनिक और सटीक कृषि पद्धतियों में बदलाव को बढ़ावा मिल सकेगा. 

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