उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट में एक खास रिसर्च की गई है. इस रिसर्च में पहली बार यहां पर देसी गाय के गोबर, गौमूत्र, घी, दूध और दही, इन पांच पंचगव्य से मिलाकर एक ऐसी खास खाद (उत्प्रेरक) तैयार की है जिसके प्रयोग से फलों का आकार तो बढ़ेगा ही साथ ही साथ उनकी पैदावार भी बढ़ेगी. साथ ही फलों की मिठास भी बढ़ जाएगी. इस खाद को यहां के प्रोफेसर ने तैयार किया है जिन्हें काफी तारीफ मिल रही है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस रिसर्च का प्रयोग करीब चार तरह के फलों पर किया जा चुका है. इन सभी फलों पर प्रयोग के अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं. सीएसए के हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर विवेक कुमार त्रिपाठी की तरफ से इस रिसर्च को अंजाम दिया गया है. उन्होंने बताया कि रिसर्च को पूरा करने में उन्हें करीब तीन साल का समय लगा. इसमें उन्होंने गाय का गोबर, घी, दूध, दही, मूत्र जिन्हें 'पंचगव्य' कहते हैं, इन पांचों तत्वों को एक निश्चित मात्रा में मिलाया. फिर इसे कुछ दिनों के लिए रख दिया और फिर कुछ दिनों तक इसे सड़ाया गया.
इसके बाद उन्होंने उसमें नारियल का तेल, केला डालकर इसे 20 दिन के लिए फिर से रख दिया. उन्होंने बताया कि ऐसा करने के बाद एक खास 'उत्प्रेरक' तैयार हो गया. फिर इस उत्प्रेरक को 3 से 4 प्रतिशत की एक निश्चित मात्रा अलग-अलग फलों पर प्रयोग किया गया. उन्होंने बताया कि इसके बाद जो नतीजे आए वह बेहद चौंकाने वाले थे. पौधों में माइक्रो ऑर्गन एक्टिव हो गए थे. इससे पौधों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर एक खास जटिल प्रतिक्रिया हुई. इससे न सिर्फ फलों के आकार बल्कि उनके आकार और पैदावार में भी काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है.
डॉक्टर विवेक त्रिपाठी के अनुसार उन्हें इस रिसर्च के बेहतर नतीजे देखने को मिले. उनकी मानें तो अब वह यह दावा कर सकते हैं कि किसानों को इससे काफी ज्यादा फायदा होगा. इस उत्प्रेरक को ड्रैगन, फ्रूट, लीची, अमरूद, आंवला जैसे फलों पर प्रयोग किया था. इस रिसर्च के अच्छे नतीजे मिले हैं. इस केमिकल वाली खास खाद के प्रयोग से तैयार अमरूद का साइज जहां 5.1 सेमी का था तो वहीं इस ऑर्गेनिक उत्प्रेरक के प्रयोग से इसका आकार 8.5 सेमी हो गया. साथ ही पैदावार 12 से बढ़कर 30 किलो तक हो गई. वहीं मिठास पहले 9.10 डिग्री ब्रिक्स थी, वह इस जैव उत्प्रेरक के प्रयोग से बढ़कर 13.5 डिग्री ब्रिक्स हो गई. पहले प्रति पौधा जहां 155 फल के करीब होते थे, वह इस जैव उत्प्रेरक के बाद 213 हो गया. इसके अलावा पौधों की चमक भी काफी तेजी से बढ़ी है.
यह भी पढ़ें-