मार्बल, मिट्टी और बालू की नकली खाद! राजस्थान में 13 फैक्ट्रियों का भंडाफोड़, हर दिन ढाई लाख बोरी होती थी सप्लाई

मार्बल, मिट्टी और बालू की नकली खाद! राजस्थान में 13 फैक्ट्रियों का भंडाफोड़, हर दिन ढाई लाख बोरी होती थी सप्लाई

Fake Fertilizer: राजस्थान में नकली खाद की फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ हुआ है जहां मिट्टी, मार्बल और बालू से खाद बनाई जाती थी. यह सबकुछ अधिकारियों के संज्ञान में चल रहा था क्योंकि उनकी इसमें पूरी मिलीभगत थी.

इस साल यूरिया, एनपीके, एसएसपी और एमओपी उर्वरकों की उपलब्धता बीते 4 वर्षों में सर्वाधिक रही है. इस साल यूरिया, एनपीके, एसएसपी और एमओपी उर्वरकों की उपलब्धता बीते 4 वर्षों में सर्वाधिक रही है.
क‍िसान तक
  • Kishangarh (Rajasthan),
  • May 29, 2025,
  • Updated May 29, 2025, 11:59 AM IST

Rajasthan Fertilizer Scam: राजस्थान में सभी तरह के नकली खाद बनाने की बड़ी-बडी फैक्ट्रियों के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ 'आजतक' के कैमरे पर हुआ है. राजस्थान सरकार के कृषि विभाग और उपभोक्ता विभाग के साथ मिलकर 'आजतक' 13  नक़ली बड़ी फ़ैक्ट्रियों तक पहुंचा जिसमें लाखों टन डीएपी, एमओपी, एसएसपी, प्रोम, बायोजाइम, जिप्सम जैसे आधा दर्जन नकली खाद मार्बल, मिट्टी और बालू को रंग कर कंपनियों के नाम के कट्टे में तैयार कर बिहार, पंजाब, हरियाणा और यूपी में सप्लाई किया जा रहा था. सभी फैक्ट्रियों को सील कर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

राजस्थान के किशनगढ़ के उदयपुर कलां इंडस्ट्रियल इलाके में एग्रो के नाम से चल रही ये बड़ी बड़ी फैक्ट्रियां कहने को तो खाद की हैं मगर ये किसानों को बर्बाद और मिट्टी को हमेशा के लिए बंजर बनाने की फैक्ट्रियां हैं. 'आजतक' की टीम राजस्थान सरकार के कृषि अधिकारियों के साथ पहुंची तो देखकर होश उड़ गए कि मिट्टी और मार्बल की कटाई से निकलने वाले कचरे जिसे मार्बल स्लरी कहते हैं उसे मिलाकर धरती पर मिलने वाले सभी तरह के खाद का रॉ मैटेरियल बनाया जा रहा था.

नकली खाद का फर्जीवाड़ा

जब अंदर गए तो वहां पर हर तरह के खाद फर्टिलाइजर की अलग अलग पैकिंग चल रही थी. काले रंग का डीएपी जिसे डायअमोनियम फॉस्फेट कहते हैं, सफेद रंग का एसएसपी सिंगल सुपर फास्फेट और लाल कलर का एमओपी म्यूरेट ऑफ पोटाश की पैकिंग चल रही थी.

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मार्बल के कटिंग से निकलने वाले वेस्ट स्लरी और मि्टी को इस फैक्ट्री में गर्म किया जाता है जिससे दाने बन जाते हैं जो खाद की तरह लगता है. इसे अलग अलग रंगों में रंगने के लिए कलर रखे हुए हैं. काला, भूरा, कत्थई और सिंदूरी रंग कट्टों में भरकर रखे गए हैं जिनसे जो खाद बनाना होता वो रंग मिला देते हैं.

एक फैक्ट्री का मालिक तो भाग गया जब 'आजतक' की टीम दूसरे भूमि एग्रो फैक्ट्री में पहुंची. वहां तो इससे बड़ा घोटाला चल रहा था. बड़े बड़े ट्रकों पर नकली खाद के कट्टे लादे जा रहे थे. हरियाणा और पंजाब की कंपनियों के नाम से कट्टों में मिट्टी और मार्बल का बुरादा रंग कर इसे गर्म कर नकली खाद बनाया जा रहा था. मैनेजर से बात करने की कोशिश गई लेकिन जैसे ही पूछताछ की वो कहने लगा हम नहीं जानते कि माल कहां जा रहा है.

कचरे से बनती थी जैविक खाद

इस फैक्ट्री का मालिक जब आया तो मंत्री का पैर पकड़ने लगा और गलती माना. मगर कहा, हम क्या करें आगे से व्यापारी नकली माल सस्ता खोजता है. जो कचरा सड़ जाता था उसे ये जैविक खाद बताकर प्रोम के नाम से बाज़ार में बेच देते हैं.

जब 'आजतक' की टीम तीसरी फ़ैक्ट्री में पहुंची तो वहां पर तो बजरी और बालू से देश के बाहर से एक्सपोर्ट होनेवाले मंहगे खाद से लेकर बायोजाइम और सी वीड जैसे खाद भी तैयार बनाई जा रही थी. सबसे बड़ी बात है कि इस इलाके के सभी अधिकारी फैक्ट्रियों से मिले हुए थे और इनकी बंधी बंधाई कमाई थी. लिहाज़ा कभी कोई कार्रवाई नही होती थी, इसलिए दूसरे जिलों से टीमें बुलाई गई थीं. 'आजतक' के कैमरे पर अधिकारियों से पूछा गया तो वे बहाने बनाने लगे.

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राजस्थान में इस तरह की 34 फैक्ट्र्यों का पता चला है जहां से रोज़ाना दो से ढाई लाख खाद की बोरियां देश में सप्लाई हो रही हैं. सोचिए अगर रोज़ाना इतने पत्थर के चूरे और रेत-बजरी खेत में जमा होते हैं तो खेती के साथ-साथ खेतों का कितना बड़ा नुक़सान हो रहा है जो हमेशा के लिए बंजर हो रहे हैं.(शरत कुमार की रिपोर्ट)

 

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