
पंजाब में इन दिनों रबी फसलों की बुवाई चरम पर है. ऐसे में कई जगहों पर खाद की समस्या और बिक्री केंद्रों पर गड़बड़ी देखने को मिल रही है. इस बीच, अमृतसर में बुधवार को विभिन्न किसान संगठनों ने मुख्य कृषि अधिकारी के कार्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया. किसानों ने खाद की सप्लाई और बिक्री से जुड़ी गड़बडी को तुरंत रोकने की मांग उठाई. किसानों ने कहा कि सहकारी समितियों के माध्यम से मिलने वाली डीएपी और यूरिया के साथ गैर-जरूरी उत्पाद भी दबाव देकर बेचे जा रहे हैं.
दि ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान नेताओं ने कहा कि समितियों के कर्मचारी किसानों को सल्फर, जिंक, नैनो यूरिया और अन्य पूरक उत्पाद लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं. किसानों ने इसे नियमों के खिलाफ बताते हुए दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की. प्रदर्शन के दौरान किसानों ने निजी खाद विक्रेताओं पर भी गंभीर आरोप लगाए.
किसानों का कहना है कि बाजार में कई दुकानदार खाद की कीमतें मनमर्जी से बढ़ा रहे हैं और अतिरिक्त पैकेट जोड़कर किसानों को मजबूरी में खरीदने पर विवश कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जब इस बारे में खुदरा विक्रेताओं से सवाल किया जाता है तो वे दावा करते हैं कि थोक विक्रेता उन्हें इसी तरह से बंडल उत्पाद उठाने के लिए बाध्य करते हैं. किसानों ने इस व्यवस्था को कृत्रिम दबाव बताते हुए कृषि विभाग से स्वतंत्र जांच की मांग की.
किसानों ने अधिकारियों का ध्यान इस ओर भी खींचा कि कृषि विभाग के नियम उपभोक्ताओं को किसी भी अतिरिक्त उत्पाद की खरीद के लिए मजबूर करने की अनुमति नहीं देते. उनका कहना है कि विभाग को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त होकर ऐसे सभी मामलों में कठोर कार्रवाई करनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ दुकानदार नकली या घटिया गुणवत्ता के बीज और खाद बेचकर किसानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. कई विक्रेता बिक्री के बिल जारी नहीं करते और न ही स्टॉक रजिस्टर को ठीक ढंग से रखते हैं. किसानों ने आग्रह किया कि ऐसी दुकानों की नियमित जांच कर कानून के तहत दंडित किया जाए.
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि हर मौसम में कृत्रिम रूप से खाद की कमी पैदा करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए और सुनिश्चित किया जाए कि वास्तविक जरूरत के अनुसार पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध कराया जाए.
उन्होंने यह भी कहा कि कृषि विभाग में कर्मचारियों की संख्या काफी कम हो चुकी है, जिससे जांच और निगरानी का काम प्रभावित हो रहा है. इसलिए नई भर्तियां की जाएं, ताकि विभागीय कामकाज में सुधार आ सके और युवाओं को रोजगार भी मिले.