मध्य प्रदेश में खरीफ की अच्छी बुवाई देखी जा रही है. बीते दिनों राज्य से कुछ जगहों से नकली खाद के मामले सामने आए और प्रसाशान ने उन पर तुरंत कार्रवाई की. लेकिन, साथ ही खाद की किल्लत और किसानों की लंबी लाइनों की तस्वीरें भी सामने आईं. ज्यादातर किसान यूरिया और डीएपी खाद को लेकर परेशान नजर आए. हालांकि, राज्य सरकार खाद की कमी को बात नकारते रही. इस बीच, राज्य सरकार ने बताया कि प्रदेश में मक्का की बुवाई बढ़ने के चलते यूरिया की ज्यादा डिमांड बढ़ गई है. सीएम डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को आगामी डेढ़ महीने में यूरिया की नई खेप को लेकर भी अपडेट दिया.
सीएम यादव ने बताया कि यूरिया का कुल भंडारण 15.60 लाख मीट्रिक टन है और अब तक किसानों को 13.92 लाख मीट्रिक टन यूरिया बांटा जा चुका है. वहीं, स्टॉक में 1.68 लाख मीट्रिक टन यूरिया बचा हुआ है. सीएम ने जानकारी दी कि राज्य में मक्का का क्षेत्रफल लगभग 5 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा है, जिसके चलते यूरिया की मांग बढ़ी है. वहीं, सीएम ने आगामी डेढ़ महीने में 5.60 लाख मीट्रिक टन यूरिया की आवक होने की संभावना जताई है.
बता दें कि देशभर में खरीफ की बुवाई अब पूरी होने की कगार पर है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ताजा खरीफ बुवाई से जुड़ी रिपोर्ट (15 अगस्त 2025 तक) के मुताबिक, इस खरीफ सीजन में मक्का की बुवाई 92.79 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल (2024-25) यह 82.97 लाख हेक्टेयर थी. यानी इसमें 9.82 लाख हेक्टेयर इजाफा और प्रतिशत में 11.84% वृद्धि हुई है. वहीं, कपास और सोयाबीन के रकबे में कमी दर्ज की गई है.
सोयाबीन की बुवाई कम होने के पीछे पिछले साल एमएसपी से 20-30 प्रतिशत नीचे भाव और अन्य कारण हो सकते हैं. वहीं, कई जिलों में बीज अंकुरण न होने के मामले भी सामने आए थे. आंकड़ों के मुताबिक, कपास की बुवाई 107.27 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल 111.11 लाख हेक्टेयर थी. यानी इसमें 3.84 लाख हेक्टेयर की कमी (-3.46%) दर्ज की गई है. देश में जहां मक्का की खेती तेजी से बढ़ रही है, वहीं कपास और सोयाबीन के क्षेत्र में गिरावट आई है.
वहीं, पूरे देश में 15 अगस्त तक 1039.81 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ की बुवाई हो चुकी है, जबकि सामान्य औसत क्षेत्रफल 1096.56 लाख हेक्टेयर है और करीब 56.75 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की बुवाई अभी बाकी है. पिछले साल की तुलना में बुवाई 37.39 लाख हेक्टेयर ज्यादा (3.73% वृद्धि) दर्ज की गई है. खरीफ सीजन में बुवाई की रफ्तार पिछले साल से बेहतर रही है.