ओडिशा में नैनो यूरिया के इस्तेमाल के नाम पर तेज हो रही सियासत, बीजेपी और बीजेडी आमने-सामने

ओडिशा में नैनो यूरिया के इस्तेमाल के नाम पर तेज हो रही सियासत, बीजेपी और बीजेडी आमने-सामने

राज्य के कृषि मंत्री का मानना है कि नई नैनो युरिया के इस्तेमाल से किसानों की आय में कमी आ सकती है. नैनौ युरिया को लेकर प्रदेश सरकार की नकारात्मक प्रक्रिया के बाद सूबे में इस पर सियासत तेज हो गई है.

नैनो यूरिया                  फोटोः ट्विटर, इफकोनैनो यूरिया फोटोः ट्विटर, इफको
क‍िसान तक
  • Ranchi,
  • Jul 03, 2023,
  • Updated Jul 03, 2023, 1:35 AM IST

देश में नैनो युरिया के अविष्कार को एक क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है. इसका उपयोग और इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि इसके कम इस्तेमाल से भी किसान बेहतर उपज हासिल कर पाएंगे इसलिए यह देश में यूरिया ऊर्रवरक की कमी को दूर करने में सहायक साबित होगा. इसके कम इस्तेमाल से अधिक उपज देने के गुण को देखते हुए केंद्रीय मंत्रीमंडल ने देश में नैनो यूरिया के इस्तेमाल को हरी झंडी दिखाई थी, देश के किसानों के साथ-साथ ओडिशा के किसान भीइस यूनिया को इस्तेमाल करके के लिए उत्सुक हैं. पर अब राज्य में इसके इस्तेमाल को लेकर सियासयत शुरू हो गई है क्योंकि ओडिशा सरकार इसका इस्तेमाल करने को तैयार नहीं है.

एक स्थानीय वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक राज्य के कृषि मंत्री का मानना है कि नई नैनो युरिया के इस्तेमाल से किसानों की आय में कमी आ सकती है. नैनौ युरिया को लेकर प्रदेश सरकार की नकारात्मक प्रक्रिया के बाद सूबे में इस पर सियासत तेज हो गई है. राज्य की विपक्षी पार्टी भाजपा ने ओडिशा सरकार पर हमला होलते हुए कहा कि राज्य सरकार इस योजना को स्वीकार नहीं कर रही है क्योंकि इससे किसानों के बीच यूरिया वितरण के दौरान भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा. वहीं ओडिशा के कृषि मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वैन ने कहा कि राज्य के किसान फिलहाल नैनो युरिया के इस्तेमाल के बारे में नहीं जानते हैं. उनके पास ड्रोन तकनीक भी नहीं है. ऐसे में बिना उचित प्रशिक्षण के उनके उपर नैनो यूरिया को नहीं थोपा जाना चाहिए क्योंकि इससे उनका उत्पादन प्रभावित होगा और आय में कमी आएगी. राज्य में नई तकनीक को धीरे-धीरे स्वीकार किया जाएगा. 

नैनो यूरिया की नहीं होगी कालाबाजारी

कृषि मंत्री ने मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार राज्य को पिछले साल की शेष बचे हुए कोटे के 22500 मीट्रिक टन यूरिया तुरंत उपलब्ध कराएं साथ ही कहा की वो जल्द ही नैनौ यूरिया के संबंध में केंद्र को एक पत्र लिखेगे. वहीं भाजपा महासचिव गोलक महापात्र ने कृषि मंत्री पर निशाना साधते हुए सवाल किया है कि राज्य में किसानों को नैनो-यूरिया के उपयोग के बारे में प्रशिक्षण देने से किसने मना किया है. उन्होंने कहा की यूरिया बोरी में उपलब्ध होने के कारण भष्टाचार में आसानी हो रही है. पर नैनौ यूरिया बोतल में रहेगा तो इससे कालाबाजारी नहीं हो सकेगी. 

नैनो यूरिया के फायदे

जब एक एकड़ भूमि के लिए दो बोरी यूरिया उर्वरक की आवश्यकता होती है, तो इसकी जगह 500 मिलीग्राम नैनो-यूरिया ले लेगा और उत्पादन बेहतर होगा. इसके अलावा, नैनो-यूरिया का उपयोग लागत प्रभावी भी होगा. जब दो बोरी यूरिया की कीमत 534 रुपये है तो 500 मिलीग्राम नैनो-यूरिया की कीमत सिर्फ 240 रुपये होगी. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नैनो-यूरिया के उपयोग से मिट्टी, पानी और पर्यावरण प्रदूषण कम होगा. राज्य में किसानों ने नई पहल का स्वागत किया है और उनके अनुसार, वे अपने खेत में नैनो-यूरिया का उपयोग करने के लिए उत्साहित हैं.


 

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