Soybean Seeds: तिलहन उत्पादन बढ़ाने की मुहिम तेज, किसानों को FPO ने मुफ्त में दिए सोयाबीन के बीज

Soybean Seeds: तिलहन उत्पादन बढ़ाने की मुहिम तेज, किसानों को FPO ने मुफ्त में दिए सोयाबीन के बीज

Soybean Seeds: केंद्र सरकार की तरफ से देश में एक तिलहन मिशन चलाया जा रहा है जिसे राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (NMEO-OS) योजना के तहत जाना जाता है. इसके तहत देशभर के किसानों को तिलहनी फसलों का उत्‍पादन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. राजस्‍थान के बारां जिले में इसी मिशन को ध्‍यान में रखते हुए किसानों को फ्री में यानी सब्सिडी पर सोयाबीन के बीज वितरित किए गए हैं.

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क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Jul 02, 2025,
  • Updated Jul 02, 2025, 9:55 AM IST

केंद्र सरकार की तरफ से देश में एक तिलहन मिशन चलाया जा रहा है जिसे राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (NMEO-OS) योजना के तहत जाना जाता है. इसके तहत देशभर के किसानों को तिलहनी फसलों का उत्‍पादन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. राजस्‍थान के बारां जिले में इसी मिशन को ध्‍यान में रखते हुए किसानों को फ्री में सोयाबीन के बीज वितरित किए गए हैं. रिच रिटर्न्‍स कृषि प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की तरफ से किसानों को बीज वितरित किए गए. वहीं दूसरी ओर महिला किसानों को भी तिलहनी फसलों के लिए प्रेरित करने के मकसद से  बारां के डिस्ट्रिक्‍ट कलेक्‍टर की देखरेख में झालावाड़ की सखी सहेली फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने भी बीज बांटे.  

4000 किसानों को मिले बीज 

रिच रिटर्न्‍स कृषि प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की तरफ से कहा गया है कि उसने एक कार्यक्रम के तहत 4000 किसानों को  3200 क्विंटल सर्टिफाइड सोयाबीन के बीज पूरी तरह से फ्री दिए हैं. कंपनी की मानें तो यह बीज वितरण काम अपने आप में एक रिकॉर्ड है क्योंकि यह पहली बार है जब राजस्थान के किसी भी जिले में इस योजना के तहत इतने बड़े स्‍तर पर पर किसानों को एक साथ मुफ्त बीज उपलब्ध कराए गए. यह भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से स्‍मॉल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कॉन्सॉर्टियम ( SFAC) के मदद से कृषि विकास सहकारी समिति लिमिटेड के माध्यम से गठित किया गया एक एफपीओ है. यह एफपीओ किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रहा है. 

राष्‍ट्रीय खाद्य तेल मिशन–तिलहन (NMEO–OS) योजना की गाइडेंस के अनुसार किसी भी जिले में वैल्‍यु चेन पार्टनर का सेलेक्‍शन जिला कलेक्टर की तरफ से होता है. साथ ही कृषि विभाग की तरफ से भी कुछ नामों का प्रस्‍ताव दिया जाता है.रिच रिटर्न्‍स कृषि प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड को इसी प्रक्रिया के अंतर्गत जिला कलेक्टर, बारां की तरफ से NMEO–OS योजना के लिए वैल्यू चेन पार्टनर के रूप में मंजूरी दी गई है. कंपनी ने जिस तरह से पहले कृषि क्षेत्र में काम किया, उसका किसान नेटवर्क और मैनेजमेंट कैपेसिटी की वजह से उसका सेलेक्‍शन इसके लिए हुआ. 

रजिस्‍टर्ड किसानों को हुआ फायदा 

कंपनी की तरफ से जारी बयान के अनुसार बीज वितरण प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी, डिजिटल और डेटा-सर्पोटेड थी. हर किसान का रजिस्‍ट्रेशन पहले से ही कृषि मैपर पोर्टल पर किया गया था. इसमें आधार कार्ड, भूमि रिकॉर्ड और मोबाईल नंबर जैसी डिटेल्‍स शामिल थीं. इसके अलावा सभी लाभार्थियों के खेतों की मिट्टी की जांच करवाई गई थी ताकि क्षेत्रीय मिट्टी की उपयुक्तता के अनुसार बीज का वितरण किया जा सके. सॉयल टेस्टिंग रिपोर्ट के आधार पर बीज की सही किस्म का निर्धारण किया गया. इससे किसानों को ज्‍यादा से ज्‍यादा उत्पादन हासिल करने में मदद मिल सकेगी. 

सोयाबीन की इन किस्‍मों के बीज 

इस योजना के तहत किसानों को पारंपरिक JS 9560 किस्म से अलग नई और उन्‍नत किस्मों जैसे JS 20-116 और JS 20-98 के बीज दिए गए हैं. ये किस्‍में कई खासियतों के साथ हैं जिनमें बेहतर उपज क्षमता, ज्‍यादा तेल प्रतिशत और झुलसा रोग और बाकी प्रमुख बीमारियों के लिए इनकी प्रतिरोधक क्षमता शामिल हैं. इन खासियतों ने किसानों को नई तकनीकों को अपनाने के लिए तैयार किया. इससे क्षेत्रीय उत्पादन क्षमता में वृद्धि की संभावनाएं हैं.  हर लाभार्थी किसान को एक हेक्टेयर के लिए 80 किलोग्राम प्रमाणित सोयाबीन बीज दिया गया.  बीज वितरण कार्यक्रम के लाभार्थी किसानों में करीब 60 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), 22 फीसदी अनुसूचित जनजाति (ST) और 18 फीसदी अनुसूचित जाति (SC) के किसान शामिल रहे. साथ ही महिला किसानों ने भी इस योजना का फायदा हासिल किया.

प्रोसेसिंग यूनिट की तैयारी 

दूसरी ओर इस एफपीओ को हाल ही में भारत सरकार और राजस्थान सरकार के संयुक्त सहयोग से एक 2 टन प्रतिदिन क्षमता वाली बहुउद्देश्यीय तिलहन प्रोसेसिंग यूनिट की मंजूरी भी दी गई है. इसमें सरसों, तिल, मूंगफली की प्रोसेसिंग की जाएगी. इस यूनिट के जरिये से किसानों को स्थानीय स्तर पर तेल निकालने, ग्रेडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग की सुविधाएं मिल सकेंगी. इस मूल्य श्रृंखला के मार्केटिंग के काम में भारत सरकार, राज्य सरकार और जिला प्रशासन की संयुक्त भागीदारी है. इससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर बाजार मूल्य मिल सके. 

कार्यक्रम में कृषि विभाग के अधिकारियों का सहयोग भी एफपीओ को मिला. जिला कृषि अधिकारी, सहायक निदेशक (कृषि विस्तार), ब्लॉक स्तरीय कृषि पर्यवेक्षक, तकनीकी सहायक, किसान सलाहकार और महिला कृषि समन्वयक, कृषि विज्ञानं केंद्र के वैज्ञानिक सभी ने वितरण कार्य में समर्पण के साथ सहयोग किया.  अब एफपीओ आगामी खरीफ और रबी सीजन में बीज उत्पादन, भंडारण, प्रोसेसिंग यूनिट, और मार्केटिंग हब की स्थापना की योजना बना रहा है. साथ ही किसानों को ट्रेनिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने की दिशा में भी काम जारी है. 

झालावाड़ में भी बांटे गए बीज 

दूसरी ओर राष्‍ट्रीय बीज निगम (NSC) कोटा  से मिले सोयाबीन के प्रमाणित बीज, किस्म JS -20-116  को सखी सहेली  FPO से जुडी हुई  महिला किसानों और बाकी किसानों को एक हैक्टर क्षेत्रफल के लिए बांटे गए. एफपीओ ने  80 किलोग्राम और 0.5 हेक्‍टेयर के लिए 40 किलो तक के बीज पूरी तरह से फ्री में डिस्‍ट्रीब्‍यूट किए. एफपीओ की तरफ से बीज वितरण के तहत करीब 500 किसानों को बीज दिए गए. इस कार्यक्रम में एफपीओ को झालावाड़ जिले के  संयुक्त निदेशक कृषि, सहायक निदेशक कृषि, स्कीम प्रभारी -सहायक निदेशक कृषि (मुख्यालय),  कृषि अधिकारी, सहायक कृषि अधिकारी एवं कृषि पर्यवेक्षक और राष्ट्रीय बीज निगम के क्षेत्रीय प्रबन्धक का सहयोग हासिल हुआ. 

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