महाराष्ट्र में विदर्भ के अमरावती के बाद अब अकोला जिले से भी नकली बीजों के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने की खबरें तेजी से सामने आ रही हैं. पातुर तालुका के सैकड़ों किसान इस बार भारी आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं. बुआई के कई दिन बीत जाने और अच्छी बारिश के बावजूद बीज अंकुरित नहीं हुए. अब किसान दुबारा बीज खरीदकर खेत में बुआई करने को मजबूर हो गए हैं.
किसानों का आरोप है कि उन्होंने 'सारस 335' कंपनी के सोयाबीन और तुअर बीज महंगे दामों पर खरीदे थे. 20 से 21 जून के बीच बुआई की गई थी. लेकिन खेतों में बीज डालने के बावजूद एक भी अंकुर नहीं निकला. इससे न सिर्फ उनकी मेहनत पर पानी फिर गया बल्कि लागत भी डूब गई.
इस घटना के बाद किसानों के आंखों में आंसू हैं. किसानों का कहना है कि दोबारा बीज खरीदने के लिए वे वैसे कहां से लाएं. पहली बार ही मुश्किल से पैसे जोड़कर उन्होंने सोयाबीन के बीज खरीदे थे. लेकिन अब कहां से पैसे के इंतजाम करें और सोयाबीन की बुवाई करें. इस घटना की शिकायत के बाद जिला कृषि अधिकारी का दल किसानों की शिकायत के बाद सर्वे करा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि दोषी पाए जाने पर बीज कंपनियों पर कानूनी कार्रवाई होगी.
दूसरी बार बीज कहां से खरीदें? पैसे कहां से लाएं? कर्ज़ पहले ही सिर पर है. यही सवाल अब पातुर के हर किसान की जुबान पर है. हमारे संवाददाता धनंजय साबले ने जब किसानों से बातचीत की तो कई किसानों ने आंखों में आंसू भरकर बताया कि उन्होंने आखिरी बचत लगाकर बीज खरीदे थे. अब दोबारा बीज और मजदूरी का खर्च उठाना उनके बस से बाहर है.
तुषार जाधव, जिला कृषि विकास अधिकारी, जिला परिषद, अकोला ने कहा कि इस गंभीर मामले को लेकर कृषि विभाग ने जांच शुरू कर दी है. सारस 335 कंपनी के बीज जब्त कर प्रयोगशाला भेजे जा रहे हैं. जिला कृषि विकास अधिकारी तुषार जाधव ने जानकारी देते हुए बताया कि “किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है. बीज के सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं. दोषी पाए जाने पर संबंधित कंपनी और वितरकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.”
हर साल नकली बीज से किसानों को नुकसान होता है, फिर भी समय रहते कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती. अब सवाल उठता है कि आखिर कृषि विभाग की बीज जांच प्रणाली इतनी कमजोर क्यों है? क्या हर बार किसानों की ही किस्मत खराब होती रहेगी?