कपास की जिस फसल पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप हुआ हो उसको घरों या खेतों के नजदीक गोदामों में स्टोर नहीं करना चाहिए. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने यह सलाह दी है. कपास मिलों व अनाज मंडियों, गोदामों के आसपास, बीज प्रसंस्करण प्लांट, बीज की दुकानों के पास फेरोमेन ट्रैप लगाने चाहिए. इनमें आए पतंगों को मार देना चाहिए. यह कार्य कपास की फसल के समय व उसके बाद वर्षभर करना चाहिए.गुलाबी सुंडी अधखिले टिण्डों में दो बीजों (बिनौले) को जोड़कर भंडारित लकड़ियों में निवास करती है, इसलिए बनछटियों का प्रबंधन फसल में बौकी याडोडी निकलने से पहले ही अलग कर लेना चाहिए.
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बनछटियों से टिण्डे एवं पत्ते झाड़कर नष्ट कर दें व मच्छरदानी से ढक दें ताकि पतंगे खेतों में न जाएं. कपास की चुनाई व बनछटियों लकड़ियों की कटाई आर्थिक लाभ की दर से जितना जल्दी हो सके, कर लेनी चाहिए. इसके लिए कपास की फसल में अंतिम सिंचाई सितंबर माह के अंत तक अवश्य कर दें. ऐसा करने से फसल में टिण्डों से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. इसके अलावा गर्मियों में खेतों की गहरी जुताई करें. दरअसल गुलाबी सुंडी के प्रकोप से महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और तेलंगाना सहित सभी प्रमुख राज्यों के किसान परेशान हैं.
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