केले की खेती के लिए बेहद खतरनाक हैं ये रोग, बचाव का तरीका भी जान लें किसान

केले की खेती के लिए बेहद खतरनाक हैं ये रोग, बचाव का तरीका भी जान लें किसान

इस महीने में केले के फल में पीला सिगाटोका रोग, काला सिगाटोका और पनामा विल्ट रोग का प्रभाव देखा जा रहा है. यह फफूंद जनित रोग है, जिसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है. इन रोगों के लगने से किसानों को कई बार नुकसान का सामना करना पड़ता है.

केले मेँ लगने वाले रोगकेले मेँ लगने वाले रोग
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Oct 16, 2024,
  • Updated Oct 16, 2024, 5:52 PM IST

केले की खेती से किसान बेहतर मुनाफा कमाते हैं, लेकिन अक्टूबर-नवंबर के महीने में केले के फलों में रोग लगने का भी खतरा बढ़ जाता है. इस महीने में केले के फल में पीला सिगाटोका रोग, काला सिगाटोका और पनामा विल्ट रोग का प्रभाव देखा जा रहा है. जो फफूंद जनित रोग है, जिसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है. इन रोगों के लगने से किसानों को कई बार नुकसान का सामना करना पड़ता है, इन्हीं समस्याओं के निजात के लिए बिहार कृषि विभाग ने केले में लगने वाले रोग से बचाव के उपाय बताए हैं. इस उपाय को अपनाकर बिहार के किसान केले की फसल को बर्बाद होने से बचा सकते हैं.

क्या हैं इन रोगों के लक्षण

पीला सिगाटोका- इस रोग के कारण केले के नए पत्ते के ऊपरी भाग पर हल्का पीला दाग या धारीदार लाईन के रूप में दिखता है. बाद में ये धब्बे बड़े और भूरे रंग के हो जाते हैं, जिनका केंद्र हल्का कत्थई रंग का होता है. इस रोग के लगने से फलों के उत्पादन पर असर पड़ता है.

काला सिगाटोका- इस रोग के कारण केले के पत्तियों के निचले भाग पर काला धब्बा, धारीदार लाईन के रूप में होता है. ये बारिश के दिनों में अधिक तापमान होने के कारण फैलता है और इनके प्रभाव से केले पकने से पहले ही पक जाते हैं, जिसके कारण किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है.

पनामा विल्ट- अचानक पूरे पौधे का सूखना या नीचे के हिस्से की पत्ती का सूखना इस रोग का प्रमुख लक्षण है. इस रोग के लगने पर पत्तियां पीली होकर रंगहीन हो जाती हैं, जो बाद में मुरझा कर सूख जाती हैं. उसके बाद तने सड़ जाते हैं और अंदर से सड़ी मछली की दुर्गंध आती है.  

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रोगों से बचाव के उपाय

1. सिगाटोका और पनामा विल्ट रोग से बचाव के लिए प्रतिरोधी किस्म के पौधे लगाएं. साथ ही खेत को खरपतवार से मुक्त रखें. खेत से अधिक पानी की निकासी कर लें और 1 किलो ट्राईकोडर्मा विरिडे को 25 किलो गोबर खाद के साथ प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिला दें.

2. काला सिगाटोका रोग से बचाव के लिए रासायनिक फफूंदनाशक कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.

3. पनामा रोग से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम डब्लू.पी. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल बनाकर छिड़काव करें. केले की पत्तियां चिकनी होती हैं. ऐसे में घोल में स्टीकर मिला देना लाभदायक होता है.

यहां कर सकते हैं संपर्क

केले की पत्तियां चिकनी होती हैं. ऐसे में घोल में स्टीकर मिला देना लाभदायक होगा. अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर के टोल फ्री नंबर 18001801551 पर या अपने जिले के सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण से सम्पर्क कर सकते हैं.

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