Tulsi Plant: सितंबर के महीने में इन खास तरीकों से करें तुलसी के पौधे की देखभाल

Tulsi Plant: सितंबर के महीने में इन खास तरीकों से करें तुलसी के पौधे की देखभाल

सितंबर में तुलसी को पानी देने के तरीके पर विशेष ध्यान देना चाहिए. बरसात के बाद मिट्टी में सामान्‍य तौर पर नमी बनी रहती है, इसलिए रोजाना पानी देना सही नहीं होता. पौधे को तभी पानी देना चाहिए जब मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई दे. गमले या गड्ढे में पानी रुकने से जड़ों के सड़ने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए निकास की व्यवस्था सही होनी चाहिए. इस महीने तुलसी को पर्याप्त धूप और हल्की हवा मिलना भी बहुत जरूरी है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 15, 2025,
  • Updated Sep 15, 2025, 7:21 AM IST

भारतीय संस्कृति में तुलसी का पौधा सिर्फ औषधीय महत्व नहीं रखता, बल्कि इसे धार्मिक आस्था और पवित्रता से भी जोड़ा जाता है. घर के आंगन में तुलसी का होना सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है. बरसात खत्म होने और ठंडी हवाओं की शुरुआत के बीच आने वाला सितंबर का महीना तुलसी के लिए बेहद अहम माना जाता है. इस समय मौसम में लगातार बदलाव होता रहता है और यदि थोड़ी भी लापरवाही बरती जाए तो पौधा जल्दी कमजोर पड़ सकता है. ऐसे में इसकी सही देखभाल जरूरी हो जाती है.  

क्‍यों जरूरी है सितंबर में ध्‍यान देना 

सितंबर में तुलसी को पानी देने के तरीके पर विशेष ध्यान देना चाहिए. बरसात के बाद मिट्टी में सामान्‍य तौर पर नमी बनी रहती है, इसलिए रोजाना पानी देना सही नहीं होता. पौधे को तभी पानी देना चाहिए जब मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई दे. गमले या गड्ढे में पानी रुकने से जड़ों के सड़ने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए निकास की व्यवस्था सही होनी चाहिए. इस महीने तुलसी को पर्याप्त धूप और हल्की हवा मिलना भी बहुत जरूरी है. पौधे को ऐसी जगह रखना बेहतर है जहां सुबह की धूप सीधे पहुंच सके. दिनभर हल्की एयर वेंटीलेशन पौधे को ताजा बनाए रखता है. अगर लगातार बादल छाए हों तो पौधे को घर के अंदर खिड़की या बालकनी के पास रखा जा सकता है ताकि उसे प्राकृतिक रोशनी मिल सके. 

मिट्टी होती है बेहद अहम 

तुलसी की मिट्टी भी इसकी सेहत में अहम भूमिका निभाती है. सितंबर में मिट्टी को हल्का-सा खोदकर ढीला कर देना चाहिए ताकि जड़ों तक हवा और पोषण आसानी से पहुंच सके. महीने में एक बार गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालने से पौधे को अतिरिक्त ताकत मिलती है और उसकी पत्तियां अधिक हरी-भरी हो जाती हैं. तुलसी के पौधे को समय-समय पर छंटाई की भी आवश्यकता होती है.  सूखी और पीली पत्तियां या मुरझाई हुई टहनियां हटा देने से पौधा और ज्यादा ताजगी के साथ बढ़ने लगता है. नई कोंपलें निकलने से पौधे की खूबसूरती और आयु दोनों बढ़ जाती हैं. 

सितंबर में कीट की आशंका ज्‍यादा 

सितंबर के मौसम में कीट और रोग लगने की आशंका भी बनी रहती है. पत्तियों पर यदि सफेद या काले धब्बे दिखाई दें तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है. ऐसे में नीम का पानी या नीम तेल का छिड़काव करना सबसे अच्छा उपाय है. महीने में एक-दो बार छिड़काव करने से पौधा कीटों से सुरक्षित रहता है और उसकी वृद्धि पर भी असर नहीं पड़ता. तुलसी का पौधा धार्मिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है.

वातावरण को शुद्ध करती तुलसी 

कहा जाता है कि प्रतिदिन इसे जल चढ़ाने और दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. यह परंपरा न केवल आस्था से जुड़ी है बल्कि पौधे की सेहत को भी मजबूत बनाती है. कुल मिलाकर, सितंबर का महीना तुलसी के पौधे के लिए संवेदनशील होता है. सही सिंचाई, पर्याप्त धूप, समय-समय पर खाद, छंटाई और रोगों से सुरक्षा जैसे छोटे-छोटे कदम अपनाकर आप इसे लंबे समय तक हरा-भरा और जीवन्त रख सकते हैं. 

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