देश के कई राज्यों में कोहरे की शुरुआत हो चुकी है. कोहरे के जद में पूरा उत्तर भारत आ गया है. कोहरे से आम जनजीवन तो प्रभावित हो ही रहा है, लेकिन इस बदलते मौसम और घने कोहरे के कारण फसलें भी प्रभावित हो रही हैं. ऐसे में यह कोहरे से भरा मौसम किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. पाले के असर से सरसों और आलू, मटर और चने की फसलें खराब होने लगती है. वहीं पाले के असर से फसलों में रोग भी लगने लगते हैं और फसलें नष्ट होने लगती हैं. जो किसान के लिए बड़ा नुकसान हो सकता है.
इसमें झुलसा रोग का प्रकोप बढ़ने के साथ ही दिसंबर से फरवरी महीने तक पाले का खतरा बना रहता है. वहीं झुलसा रोग को सरसों और आलू की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है. आइए आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताते हैं, जिससे आप अपनी रबी फसलों को झुलसा रोग से सुरक्षित रख सकते हैं.
ये मौसम ही फसलों पर कीट और रोग लगने का होता है. मौसमी परिस्थितियां ऐसी हैं कि रोग और कीट बढ़ने के लिए अनुकूल है. आलू-टमाटर समेत दूसरी सब्जियों में झुलसा रोग लग सकता है. झुलसा रोग दिसंबर के अंत से जनवरी के मध्य तक लग सकता है. इस बीमारी में पत्तियां किनारे और सिरे से झुलसना शुरू होती हैं जिसके कारण फसल सड़ने लगती है.
ये भी पढ़ें:- Crop Insurance: छत्तीसगढ़ में फसल बीमा के आवेदन की समय सीमा एक दिन बढ़ी
झुलसा रोग से फसलों को बचाने के लिए नीम ऑयल का छिड़काव करें साथ ही कंडे की राख का इस्तेमाल करें, सरसों और आलू की फसल में झुलसा कीट के नियंत्रण के लिए एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत को 400-500 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करना चाहिए. रासायनिक नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 प्रतिशत मिथाइल 25 प्रतिशत और क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत को 600-750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से स्प्रे करना चाहिए. इससे फसलों को झुलसा कीट से छुटकारा मिलता है. ऐसे में अगर पहले से ही ध्यान दिया जाए तो फसलों को बचाया जा सकता है. इस मौसम में कीटनाशकों का प्रयोग करना पड़ सकता है. जिससे किसान की मेहनत बच सके.
किसानों को रबी की फसलों की बुवाई के समय ध्यान रखना चाहिए कि बीज उन्नत किस्म के होने के साथ ही स्वस्थ हों क्योंकि शीतलहर और पाले से सर्दी के मौसम में झुलसा रोग से सभी फसलों को नुकसान होता है. इसमें रबी की सबसे प्रमुख फसल गेहूं के अलावा तिलहन फसलों को सबसे अधिक 80 से 90 फीसदी तक नुकसान हो सकता है. साथ ही आलू, मटर और चना की फसल को 40 से 50 फीसदी तक नुकसान हो सकता है.