भारत में हर साल किसानों की मेहनत से तैयार की गई हजारों एकड़ गेहूं की फसल आग की चपेट में आकर बर्बाद हो जाती है. यह किसानों के लिए एक बहुत बड़ी त्रासदी है, क्योंकि उनकी मेहनत लागत और संसाधन सभी बर्बाद हो जाते हैं. गेहूं की फसल में आग लगने के कई कारण हैं. इसमे गेहूं के खेत में बिजली ट्रांसफार्मर से आग बड़ा कारम है. ट्रांसफार्मर में पुराने और जर्जर बिजली के तारों में शॉर्ट-सर्किट होने या आपस में टकराने से चिंगारी निकलती है, जो सूखी घास या फसल में आग लगा सकती है.
वहीं दूसरी ओर किसानों या राहगीरों की लापरवाही भी आग का एक बड़ा कारण है. जली हुई बीड़ी, सिगरेट या तीली को खेतों में या आसपास फेंकने और कृषि मशीनों जैसे थ्रेशर और कंबाइन से निकलने वाली छोटी सी चिंगारी से पूरी गेहूं की फसल में आग लग सकती है. इन वजहों से पूरी गेहूं की फसल आग में जलकर खाक हो जाती है.
गेहूं के सीजन में मौसम गर्म हो जाता है, जिससे हर चीज सूखी रहती है और तेज हवा के कारण आग लगने का खतरा लगभग 80 फीसदी तक बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति में आग तेजी से फैलती है. विशेषज्ञों के मुताबिक देश में गेहूं की फसल में आग मुख्य रूप से 65 फीसदी बिजली के ट्रांसफार्मर में शार्ट-सर्किट या तार टकराने से निकली चिंगारी से लगती है. इससे बचने के लिए अगर गेहूं की फसल पक चुकी है और किसी कारणवश कटाई में देरी हो रही है, तो सबसे पहले गेंहू के खेत में ट्रांसफार्मर के आसपास 10 फीट तक की फसल काट लें. उस जगह को को पूरी तरह साफ कर दें. इससे आग लगने की संभावना काफी कम हो जाती है.
ये भी पढ़ें: हरियाणा में गेहूं खरीद के लिए ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन तेज, बचे हैं सिर्फ 11 दिन
इसके अलावा बिजली विभाग को सूचित कर ट्रांसफार्मर और बिजली के तारों की नियमित जांच करवाएं. अगर तार ढीले या जर्जर हो गए हैं, तो तुरंत बिजली विभाग को सूचित करें. कृषि विभाग और बिजली निगम के बीच बेहतर तालमेल किसानों को सुझाव मदद कर सकते हैं. खेत के आसपास आग जलाते समय सावधानी बरतें और उसे पूरी तरह से बुझाना न भूलें. रास्ते में चलते समय सिगरेट या बीड़ी को इधर-उधर न फेंके. खेत की मेड़ और आसपास की जगह को साफ रखें.
कृषि मशीनरी विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की कंबाईन मशीन का उपयोग करते समय, बेल्ट की टाइटनेस की जांच करना बहुत ज़रूरी है. ढीली बेल्ट से चिंगारी निकलने का खतरा बहुत ज़्यादा होता है, जिससे आग लग सकती है. बेल्ट को नियमित रूप से जांचें और सुनिश्चित करें कि वह सही ढंग से टाइट है.
साइलेंसर से निकलने वाली चिंगारी भी आग का कारण बन सकती है. इससे बचने के लिए, ट्रैक्टर या कंबाइन को ओवरलोड न करें. साइलेंसर का मुंह हमेशा ऊपर की ओर रखें, ताकि चिंगारी सीधे जमीन पर न गिरे. खेतों में आग लगने की स्थिति में तुरंत बुझाने के लिए पानी की टंकियां और रेत की बोरी उपलब्ध रखें. खेत के चारों ओर 5-6 फीट चौड़ी पट्टी (फायर लाइन) बनाएं, जिससे आग फैलने से रोकी जा सके. ट्रैक्टर के पीछे डिस्क हैरो या रोटावेटर लगाकर खेत के किनारों पर जुताई करें ताकि आग एक खेत से दूसरे खेत में न फैले. खेतों के आसपास सूखी घास और पराली को जलाने से बचें.
ये भी पढ़ें: गेहूं की सरकारी खरीद में महिलाओं के लिए बड़ा मौका, सरकार ने किया ये ऐलान
जब गेहूं की बालियां पीली हो जाएं और दाने पूरी तरह कठोर हो जाएं, तो देरी न करें. अधिक देर करने पर बालियों के गिरने और चूहे-पक्षियों से नुकसान की संभावना रहती है. असिंचित खेतों में फसल जल्दी पकती है, इसलिए पहले इन खेतों की कटाई करें. इसके बाद सिंचित खेतों की कटाई करें ताकि दानों की नमी संतुलित बनी रहे. अगर इन बातों का ध्यान और सावधानी रखें तो गेहूं की फसल को संभावित नुकसान से बचाकर अपनी मेहनत की उपज सुरक्षित रख सकते हैं.