फरवरी का आधा महीना बीत चुका है, इसके साथ ही ठंड भी लगभग समापन की ओर है. ठंड जाने के साथ साथ देश में रबी सीजन में बोई फसलों की कटाई भी शुरू हो जाती है. फसलों की बुआई और कटाई में बहुत ही ध्यान रखने योग्य जरूरी बातें होती हैं, जिनका पालन कर किसानों को लाभ होता है. आज हम बात करेंगे आलू की खुदाई के बारे में. आलू की खुदाईन करते समय किसानों को कुछ जरूरी बातों का खयाल रखना होता है, जिससे किसानों को मनमुताबिक व अच्छी गुणवत्ता में आलू प्राप्त हो सके. इससे किसानों को मंडियों में आलू के अच्छे भाव प्राप्त हो सकते हैं.
किसी भी तरह की फसलों की खेती करने के पीछे किसान हमेशा लाभ ढूंढता है. लेकिन, यह जरूरी नहीं है कि खेती करके किसान को हमेशा लाभ ही होगा. कई बार किसानों को खेती से हानि भी उठानी पड़ती है. इसका कारण है कृषि संबंधी ज्ञान में कमी. किसानों को खेती करते हुए उसकी बुआई और कटाई के सही समय की जानकारी होनी चाहिए.
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आलू की फसल लगभग 3 महीने से भी कम समय में तैयार हो जाती है. कई बार ये मौसम और जलवायु पर निर्भर होते हैं. इसकी खुदाई करने का अंदाजा आप इसकी पत्तियों को देख कर लगा सकते हैं. आलू के पौधे की पत्तियां पीली पड़ कर सूखने लगे तो खेत के किनारे कहीं से भी एक आलू खोद कर उसके परिपक्वता की जांच कर लें. यदि फसल मन मुताबिक तैयार हो गई है, तो इसकी खुदाई कर सकते हैं.
आलू की खेती देश में बड़े पैमाने में की जाती है. इसकी पैदावार भी देश में अच्छी देखी जाती है. कुछ किसानों को आलू की खेती से मनमुताबिक उपज नहीं मिल पाती है. इसका कारण है कि किसान खेती के बाद खाद बीज की सही मात्रा और सही समय का ध्यान नहीं रखते.
आलू की खेती से अच्छी उपज पाने के लिए सबसे पहले आलू की पाले से रक्षा करनी जरूरी होता है. इसके अलावा आलू की खुदाई एक दम सही समय पर करनी चाहिए. अधिक जल्दी होने पर आलू सही से परिपक्व नहीं हो पाते तो वहीं अधिक देर करने पर आलू की गुणवत्ता में कमी आ जाती है. खुदाई से लगभग 15 दिन पहले आलू के खेत की सिंचाई करना बंद कर दें और क्यारियों की साफ सफाई कर दें जिससे आलू में किसी तरह के कीट या रोग न लगने पाएं. इस तरीके से यदि आप आलू की खुदाई करते हैं तो अच्छी आलू प्राप्त होगी और किसानों को उनका बाजार में अच्छा भाव मिलेगा.