Arhar Farming: अरहर की खेती में पौधे से पौधे की दूरी कितनी होनी चाहिए? जानिए क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट्स

Arhar Farming: अरहर की खेती में पौधे से पौधे की दूरी कितनी होनी चाहिए? जानिए क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट्स

अरहर की खेती खरीफ सीजन में की जाती है और इसके लिए जल निकासी वाली मिट्टी और 5.5-8 pH उपयुक्त होता है. मिट्टीजनित रोगों से बचाव के लिए गहरी जुताई और सही नमी जरूरी है. बुआई का समय मध्य जून उपयुक्त है, जबकि पंक्तियों की दूरी 30-45 सेमी और बीज दर 15-18 कि.ग्रा./हे. होनी चाहिए.

Tur Dal FarmingTur Dal Farming
प्रतीक जैन
  • Noida,
  • Jun 18, 2025,
  • Updated Jun 18, 2025, 7:25 AM IST

भारत दलहन के भारी उत्‍पादन के बाद भी विभि‍न्‍न दालों के आयात पर निर्भर है. इसके लिए राष्‍ट्रीय मिशन के तहत दलहन फसलों का रकबा और उत्‍पादन बढ़ाने की कोश‍िश की जा रही है. साथ ही सरकार एमएसपी पर इन फसलों की खरीद की बात भी कह रही है. इस समय खरीफ सीजन चल रहा है और किसानों के पास दलहन फसलों की बुवाई और रोपाई का मौका है. ऐसे में आज हम आपको अरहर यानी तुअर की खेती और इसकी उन्‍नत किस्‍मों से जुड़ी अहम जानकारी देने जा रहे हैं. यह जानकारी कृषि वैज्ञानिकों और एक्‍सपर्ट के सुझावों पर आधारित है.

सही जल निकासी है जरूरी

अरहर खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली दलहनी फसल है. हालांकि, कुछ जगहों पर रबी सीजन में भी इसकी खेती की जाती है. वहीं, अब गर्मी के मौसम में जायद सीजन में खेती लायक किस्‍में भी तैयार की जा रही है. अरहर की खेती के लिए अच्‍छी जल निकासी वाली मिट्टी जरूरी है. खेत में पानी भरने पर फसल को भारी नुकसान हो सकता है. मिट्टी का पीएच मान 5.5-8 के बीच होना चाहिए. 

अरहर में मिट्टीजनित रोगों से बचाव के लिए एक ही खेत में लगातार कई वर्षों तक अरहर नहीं उगानी चाहिए और बुआई करने से पहले खेत की एक बार गहरी जुताई करके 2-3 बार हैरो चलाकर मिट्टी को भुरभुरी कर लेनी चाहिए. इसके बाद खेत बुआई के लिए तैयार हो जाता है और बुआई के समय खेत में सही नमी का होना बहुत ही जरूरी है.

खरीफ अरहर की उन्नत किस्‍में 

अरहर की जल्‍दी पकने वाली किस्‍में: पूसा 16, पूसा 991, पूसा 992, पूसा 2001, पूसा 2002, पूसा 33, पूसा 855, पूसा 9, उपास 120, प्रभात, बहार एवं टाइप-21 जल्‍दी पकने वाली प्रमुख किस्‍म हैं.

अरहर की देर से पकने वाली किस्‍में: पन्त अरहर 291, मानक, अमर, नरेन्द्र अरहर 1, नरेन्द्र अरहर 2, नरेन्द्र अरहर 3 आदि देर से पकने वाली प्रमुख अरहर किस्‍में हैं.

अरहर की बुवाई का सही समय

खरीफ सीजन में अरहर की खेती अगेती और पछेती फसल के रूप में की जाती है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे  सिंचित क्षेत्रों में अगेती अरहर की बुवाई मध्य जून में पलेवा करके जरूर करें. मेड़ों पर बोने से अच्छी उपज मिलती है. बुवाई के समय पंक्तियों की दूरी 30-45 सें.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 5-10 सें.मी. सही रहती है. खरीफ की बुवाई के लिए 15 से 18 कि.ग्रा. प्रत‍ि हेक्टेयर बीज पर्याप्त रहते हैं. बीजों को 4-5 सें.मी. गहराई में बोना चाहिए.

अरहर फसल की बुवाई की विधि‍

क‍ृषि वैज्ञानिकों के मुताबि‍क, प्रयोगों के माध्‍यम से यह साबित हो चुका है कि मेड़ों पर अरहर की बुवाई करने से न सिर्फ पैदावार बढ़ती है, बल्कि इस तकनीक को अपनाने से जलभराव के नुकसान से भी बचा जा सकता है और साथ ही कवकजनित रोगों (फफूंद से हाेने वाली बीमारी) का प्रकोप भी कम होता है.

ऐसे करें अरहर के बीजों का उपचार

मिट्टी और बीज जनित उर्वरक कवक और जीवाणुजनित (बैक्‍टीर‍िया से होने वाले) रोग, मिट्टी अंकुरण होते समय और इसके बाद बीजों को काफी क्षति पहुंचाते हैं. बीजों के अच्छे अंकुरण और स्वस्थ पौधों की पर्याप्त संख्या के लिए कवकनाशी से बीज उपचार की सलाह दी जाती है. इसके लिए प्रति कि.ग्रा. बीज को 2 से 2.5 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बण्डाजिम से उपचार करने के बाद राइजोबियम कल्चर से बीजोपचार करना चाहिए. अच्छी पैदावार के लिए प्रति इकाई क्षेत्र में पौधों की निर्धारित संख्या अनिवार्य है. कम पौधों की स्थिति में खरपतवारों का जमाव और विकास अधिक ज्‍यादा होगा और इसका उत्पादन पर असर पड़ेगा.

ऐसे करें पोषक तत्वों का प्रबंधन 

सही उत्पादन हासिल करने के लिए संतुलित खादों का प्रयोग करें. उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी जांच की सिफारिशों के आधार पर किया जाना चाहिए. अरहर की अच्छी उपज लेने के लिए 10-15 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40-50 कि.ग्रा. फॉस्फोरस और 20 कि.ग्रा. सल्फर प्रत‍ि हेक्‍टेयर की जरूरत होती है.

अरहर की ज्‍यादा से ज्‍यादा उपज के लिए फॉस्फोरस युक्त उर्वरकों जैसे सिंगल सुपर फॉस्फेट 250 कि.ग्रा. प्रति हेक्‍टेयर या 100 कि.ग्रा. डीएपी और 20 कि.ग्रा. सल्फर पंक्तियों में बुवाई के समय पोरा या नाई की सहायता से देना चाहिए, जिससे उर्वरक का बीज के साथ सम्पर्क न हो.

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